यमदूत बनकर दौड रही है जिले की 108 एंबुलेंस, लाईफ सपोट सिस्टमो की मौत

शिवपुरी। हाईवे पर दुर्घटना हो या फिर प्रसूताओ को घर से समय रहते सुरक्षित अस्पताल लाने की जिम्मेदारी  के जिले की एंबुलेसो पर है। दुर्घटना में घायल व्यक्ति को लाईफ सपोट सिस्टम की तुरंत आवश्यकता होती हैं,इस कारण इन एबुलेंसो में सभी तरह के उपकरण लगाए गए थे। और जीवन रक्षक दवाएं भी इसमे मौजुद रहती थी। लेकिन शिवपुरी की सभी 16 एबुंलेंस अब गंभीर घायल मरीजो के लिए सक्षात यमराज से कम नही है। इनमे लगे सभी सभी जीवन रक्षक उपकरणो की मौत की खबर आ रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात इनमें अब ऑक्सीजन तक की व्यवस्था तक नही हैं। 

16 एंबुलेंस मौजूद नहीं ऑक्सीजन सिलेंडर
जिले में 108 की 16 एंबुलेंस संचालित हैं, लेकिन इन एंबुलेंसों में सबसे ज्यादा आवश्यक ऑक्सीजन सिलेंडर होना चाहिएए क्योंकि 108 एंबुलेंस दुर्घटना में घायल लोगों को अस्पताल तक लेकर आती है। ऐसे में कई मरीज गंभीर भी होते हैं। उन्हें तत्काल ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। ऐसे में ऑक्सीजन के सिलेंडर न होने से कई बार गंभीर मरीजों की मौत तक हो चुकी है।

यह उपकरण भी नहीं किसी भी एंबुलेंस में
शिवपुरी जिले में संचालित 16 एंबुलेंस में इक्यूपमेंट भी नहीं है और किसी इक्का दुक्का एंबुलेंस में हैं भी तो वह पूरी तरह से खराब हैं। पल्स ऑक्सीमीटर, बीपी स्ट्रूमेंट, थर्मामीटर, ग्लूकोमीटर, सरवाइकल कॉलर, अंबु बैग, डिलेवरी किट सहित अन्य उपकरण भी नहीं हैं, जिससे ईएमटी को इलाज करने में परेशानी का सामना करना पड रहा है।

सबसे ज्यादा परेशानी प्रसूताओं की
जिले भर में जननी एक्सप्रेस की वजाय अब प्रसूताओं को 108 एंबुलेंस से ही अस्पताल प्रसव के लिए लाया जाता है। 108 पर तैनात स्टाफ की मानें तो एंबुलेंस में डिलेवरी किट तक नहीं हैं, जिससे प्रसूताओं का प्रसव कराने में उन्हें परेशानी होती है। कई बार तो इतनी इमरजेंसी होती है कि आनन फानन में प्रसूता को अस्पताल लाना पड़ता है।

जीवन रक्षक दवाएं ही नहीं दे पाते मरीजों को
108 एंबुलेंस पर तैनात स्टाफ की मानें तो वे इंस्टूमेंट न होने के कारण घायलों व मरीजों को किसी भी प्रकार की दवा तक नहीं दे पा रहे हैं। उनका कहना है कि वे भोपाल कॉल कर डॉक्टर से जब दवा के लिए सहायता मांगते हैं तो भोपाल में बैठे डॉक्टर उनसे पल्सए बीपी व टेम्परेचर की जानकारी मांगते हैंए लेकिन यह इंस्टूमेंट न होने के कारण वह किसी भी तरह की जानकारी डॉक्टर को नहीं दे पाते हैं। जीवन रक्षक दवा भी मरीजों को नहीं दे पा रहे हैं।