माताएं कहती है बच्चों चुप हो जाओ नही तो पुलिस आ जाएगी: एसपी पाण्डें

शिवपुरी। सनराईज होटल में पत्रकारों द्वारा आयोजित विदाई समारोह में निवर्तमान एसपी सुनील कुमार पांडेय की सज्जनताए सहजता और ईमानदारी की गूँज सुनाई दी। जनअभियान परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष राघवेंद्र गौतम ने मजाकिया लहजे में कहा कि श्री पांडेय को तो प्रोफेसर होना चाहिए था, वह कहां पुलिस की नौकरी में आ गए। लेकिन एसपी सुनील पांडेय ने अपने संबोधन में कहा कि सामान्य तौर पर मानवीय गुणों को पुलिस की नौकरी के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। लेकिन पुलिस की भयानक छवि को मानवीय गुणों से परिपूरित अधिकारी ही बदलेंगे। समारोह में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह के समक्ष पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा आईपीएस अधिकारी सुनील पांडेय के गुणगान की चर्चा भी हुई। 

विदाई समारोह में एसपी सुनील पांडेय ने स्वीकार किया कि समाज की नजरों में पुलिस की छवि अच्छी नहीं है। जबकि पुलिस अपराध तथा बुराईयों के उन्नमूलन का काम करती है। इसलिए उसकी सामाजिक छवि अच्छी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि घरों में माताएं अपने छोटे.छोटे बच्चों को डराते हुए कहती है कि बेटा चुप हो जाओ पुलिस आ जाएगी। 

इससे साफ है कि पुलिस की समाज में छवि कैसी है। इसी खराब छवि के कारण सामान्य व्यक्ति पुलिस थाने जाने में और पुलिस अधिकारी तथा कर्मचारियों से बात करने में संकोच करता है और कोशिश करता है कि उसे कभी इनसे वास्ता न पड़े। निश्चित रूप से पुलिस के पास पावर होती है और उस शक्ति के गलत उपयोग से ही इस तरह की धारणाओं ने जड़े जमाई हैं। 

उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कोड करते हुए कहा कि उन्होंने एक बार कहा था पुलिस अपराधियों के लिए कठोर से कठोर और भले लोगोंं के लिए गुलाब से भी कोमल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री गौतम जी की इस बात से सहमत नहीं हूं कि मैं दिशा भटक कर पुलिस में आ गया। क्योंकि मैं एक सज्जन व्यक्ति हूं। उन्होंने कहा कि ऐसे सज्जन व्यक्ति ही पुलिस की पुरातन छवि को बदलने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि शिवपुरी के डेढ़ साल के कार्यकाल में मेरे दरबाजे जनता के लिए हमेशा खुले रहते थे। 

क्योंकि यदि हम उनके लिए सुलभ नहीं होंगे तो किसके लिए होंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक के रूप में सहजता से नुकशान नहीं बल्कि फायदा ही मिलता है क्योंकि इससे वे लोग आपके नजदीक आते हैं जो अपराध और अपराधियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते हैं। अपनी कार्यप्रणाली के बारे में चर्चा करते हुए श्री पांडेय ने कहा कि मैने बहुत कम ट्रांसफर किए हैं। मेरा ट्रांसफर करने में यकीन नहीं है और अधिकारियों तथा कर्मचारियों से कैसे काम लिया जाए मैं जानता हूं। किसी भी व्यक्ति की रूचि को पहचानकर उसके अनुरूप उसे काम दे दिया जाए तो काम भी होगा और उसमें गुणवत्ता भी आएगी।

इसके पूर्व वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद भार्गव ने अपने उदबोधन में समाज के गिरते मूल्यों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में पुलिस की जिम्मेदारी अधिक बढ़ गई है। बाल कल्याण आयोग के अध्यक्ष अजय खैमरिया ने कहा कि एसपी पांडेय का कार्यकाल इसलिए भी याद रखा जाएगा क्योंकि उनके समय में पुलिस सामाजिक सरोकारों से जुड़ी और इसका उदाहरण शिवपुरी का परिवार परामर्श केन्द्र है।

उन्होंने कहा कि कलेक्टर को लोकप्रिय होने के अवसर अधिक होते है लेकिन पुलिस विभाग से जुडक़र एसपी पांडेय का इतना लोकप्रिय होना उनके विराट व्यक्तित्व का परिचायक है। प्रयागराज उनकी जन्मस्थली रही है और इसका प्रभाव भी उनके संस्कारों पर पड़ा है। 

पत्रकार अशोक कोचेटा ने एसपी पांडेय की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनका सबसे बड़ा गुण यह है कि वह अपने दिल और दिमाग को हमेशा खुला रखते थे। जिससे उनसे गलतियां होने की संभावनाएं बहुत कम हुई हैं। समारोह में पत्रकार रिंकू जैन ने भी अपने विचार व्यक्त किये मंचासीन राकेश गुप्ता ने भी एमपी श्री पांडेय के कार्यकाल की प्रशंसा की। जबकि आभार प्रदर्शन की रस्म पत्रकार रंजीत गुप्ता ने निर्वहन की। कार्यक्रम का अच्छा संचालन भरत अग्रवाल ने किया। 

शॉल श्रीफल तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया सम्मानित
एसपी सुनील पांडेय के विदाई समारोह में उन्हें शॉलए श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। उन्हें शॉल और श्रीफल राघवेंद्र गौतमए अजय खैमरिया, प्रमोद भार्गवए भरत अग्रवाल आदि ने भेंट किया। जबकि स्मृति चिन्ह पत्रकार रिंकू जैन ने दिया। जिस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्री पांडेय ने कहा कि आपके सम्मान से में अभिभूत हूं और इससे मुझे और भी अच्छा काम करने की प्रेरणा मिलेगी।