सरकारी चोरी को दबाने मे लगें सरकारी अधिकारी: चोर-चोर मसौरे भाई

शिवपुरी। एक पुरानी कहावत की चोर-चोर मौसेरे भाई...यह उदाहरण वनविभाग के कर्मचारियों पर सटीक बैठती है। एक चोर वन विभाग की बाउंड्री बॉल के बोलडर पत्थर अपने ट्रेक्टर ट्रोली में मजदूर लगाकर भर ले गया। विभाग अभी जांच ही कर रहा है। बताया जा रहा है कि इस जांच में चोर का नाम फोटो पता सब स्पष्ट हो गया है। यह चोर एक जनप्रतिनिध का समाजी भाई और खासमखास बताया जा है, वन विभाग के अधिकारी अभी तक इस नेताजी के खासमखास पर पुलिसिया कार्रवाई नही करा पाया है। 

जैसा कि विदित है कि पोहरी विधानसभा के अतंर्गत आने वाले ग्राम गोपालपुर में स्थित वनविभाग की प्लांटनेशन की बाउंड्री चोरी होने का मामला प्रकाश में आया था। बताया जा रहा है कि उक्त बाउंड्रीवाल के खंडे तब चोरी हुए थे जब फॉरेस्ट के कर्मचारी अपनी मांगो को लेकर जिला मुख्यालय पर हडताल पर बैठे थे। ग्राम गोपालपुर में वन विभाग की फॉरेस्ट का प्लांटनेशन है। इस प्लाटनेंशन के चारों ओर वनविभाग ने पत्थर की बाउंड्री करा रखी है। बताया जा रहा है कि जब वनविभाग के रेंजर और गार्ड अपनी मांगो को लेकर हड़ताल पर बैठे थे तभी कोई चोर अपने ट्रेक्टर में इस 200 मीटर लंबी बाउंड्री बॉल के पत्थर और खंडे भर ले गया। 

ग्रामीणों ने वनविभाग को प्लाटंनेशन की बाउंड्री चोरी होने की सूचना दी। इस मामले की जांच विभाग के रेंजर विष्णु शर्मा ने की है। रेंजर द्वारा टीपू पुत्र मुंशी खान, पप्पू पुत्र बाबू जाटव और विनोद पुत्र श्री कृष्ण धाकड ने इस मामले में बयान दिए है। इन बायानो के आधार और मौके मुआने के बाद जांच में गोपालपुर के रहने वाले घनश्याम धाकड का नाम आया है। 

सूत्रो का कहना है कि वनविभाग के रेंजर ने इस मामले की जांच कर घनश्याम धाकड निवासी गोपालपुर ही अपने निजी ट्रेक्टर से ट्रॅाली मेे भरकर विभाग की बाउंड्री को ले गया है। वनविभाग के रेंजर विष्णु शर्मा का कहना है कि हमने अरोपी को चिन्हित कर उक्त चोर पर मामला दर्ज करने का आवेदन गोपालपुर थाना प्रभारी को दिया है। 

तो उधर गोपालपुर के थाना प्रभारी अरूण भदौरिया का कहना है कि वनविभाग की ओर से ऐसा कोई आवेदन नही आया है आवेदन आता तो हम मामला दर्ज कर लेते। जब उनसे कहा कि वनविभाग के रेंजर कह रहे है कि आवेदन दिया है इस पर थाना प्रभारी ने कहा कि उनसे आवेदन पर प्राप्ती ओर तारिख  मांगा लो..। 

कुल मिलाकर यह चोर-चोर मौसेरे भाई दिख रहे हैं। इस मामले में सबसे पहले उक्त चोर के द्वारा उपयोग में लिया गया वाहन ट्रेक्टर और ट्रोली को जब्त कर वनविभाग के अधिकाारियों को राजसात करने की कार्रवाई की जानी थी। वनविभाग के अधिकारी इस प्रकरण को क्यो दवाने में जुटे है, या किसी राजनीतिक प्रेशर के कारण कार्रवाई को अजांम नही दिया जा रहा है,या फिर चोरी के माल में बंदरवाट हो गया कहना मुशि£कल है कि लेकिन यहां कोई अनैतिक गठबंधन अवश्य हुआ है।