
परिवादी नीलेश उपाध्याय ने न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि वह तथा अभियुक्त एक ही समाज के हैं तथा उनके आपस में मित्रतापूर्ण संबंध रहे हैं। अभियुक्त ने अपनी परिवारिक आवश्यकता बताते हुए कहा कि उसकी बेटी कोटा में अध्यनरत है और उसे कोचिंग फीस तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 70 हजार रूपए नगद की आवश्यकता है। अभियुक्त की बातों में आकर परिवादी ने 70 हजार रूपए उसे प्रदान किए।
जिस पर अभियुक्त ने उसे बैंक ऑफ बडौदा शाखा शिवपुरी का 70 हजार रूपए का चैक दिनांक 1.11.2013 को प्रदान किया। जब परिवादी ने उक्त चैक को बैंक में लगाया तो वहां से यह टीप लगकर आई कि चैक अपर्याप्त निधि के कारण वापिस लौटाया जा रहा है। तदुपरांत परिवादी की ओर से 9.12.2013 को सूचना पत्र दिया गया। लेकिन सूचना पत्र प्राप्त होने के बाद भी अभियुक्त द्वारा राशि का भुगतान नहीं किया गया। अत: परिवादी द्वारा यह परिवाद पत्र धारा 138 परक्राम्य लिखित अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया।