
कलेक्टर श्रीमती शिल्पा गुप्ता ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि जिले में विशेष अभियान चलाकर लोगों को जागरूक कर तम्बाकू उत्पादों के दुष्परिणामों की जानकारी दें। उन्होंने जिला कार्यालय प्रमुखों को निर्देश दिए कि सभी कार्यालयों में धूम्रपान एवं तम्बाकू का उपयोग पूर्णत: निषेध है, के बोर्ड लगाए जाए।
उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाओं के 100 गज के दायरे में किसी भी प्रकार का तम्बाकू उत्पाद बेचना कानूनी अपराध है, ऐसा करने पर 200 रूपए का जुर्माना लगाया जाएगा। पावर पोइंट प्रिजेन्टशन माध्यम से कार्यकारी निदेशक श्री मुकेश सिन्हा ने बताया कि जिले में तम्बाकू नियंत्रण कानून का पालन कराए जाने हेतु सभी सार्वजनिक स्थानों को धूम्रपान मुक्त बनाने के लिए इन स्थानों पर धुम्रपान निषेध संबंधी सूचना पटल प्रदर्शित किए जाए।
उन्होंने बताया कि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने वाले लोगो पर 200 रूपए का अर्थदण्ड लगेगा। शैक्षणिक संस्थाओं के 100 गज के दायरे के अंदर तम्बाकू उत्पादों से संबंधित दुकाने नहीं लगाई जा सकेंगी। 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति द्वारा तम्बाकू उत्पादों को बेचना भी एक दण्डनीय अपराध है। उन्होंने बताया कि बिना चित्रात्मक चेतावनियों के तम्बाकू उत्पादों की बिक्री भी नहीं की जा सकेगी।
बकुल शर्मा ने बताया कि तम्बाकू नियंत्रण कानून के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु प्रशासन के सहयोग से जिला एवं विकासखण्ड स्तर पर अधिकारियों की कार्यशालाए आयोजित की जाएगी। उन्होंने बताया कि वैश्विक तम्बाकू महामारी प्रत्येक वर्ष 70 लाख लोगों को मारती है। जिनमें से 9 लाख ऐसे लोग होते है, जो धूम्रपान नहीं करते लेकिन उसके धूएं के प्रभाव से उनकी मृत्यु हो जाती है।
भारती में 10 से 12 लाख लोगों की मौत का कारण तम्बाकू से होने वाली बीमारियां है। दूनियाभर में एक अरब से अधिक धूम्रपान करने वालों में कम और मध्यम आय वाले देशों में रहने वाले लोग है, जहां तम्बाकू से संबंधित बीमारी और मृत्यु का बोझ सबसे भारी है।
वैश्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण 2016-17 के अनुसार भारत में 39.5 प्रतिशत और मध्यप्रदेश में 34.2 प्रतिशत वयस्क तम्बाकू का प्रयोग करते है। भारत में 16 प्रतिशत और मध्यप्रदेश में 10.2 प्रतिशत वयस्क धूम्रपान करते है और भारत में 31.4 प्रतिशत और मध्यप्रदेश में 28.1 प्रतिशत वयस्क धूआंरहित तम्बाकू का सेवन करते है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009-10 में 40 प्रतिशत लोग सार्वजनिक स्थानों पर परोक्ष धूम्रपान का शिकार होते थे, वहीं अब यह 2016-17 में घटकर 24 प्रतिशत हो गए है। इसका मुख्य कारण है कि विगत कई वर्षों में प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान को रोकने के लिए सतत निगरानी, जागरूकता और दण्ड किया गया है। जिससे लोगों में परिवर्तन आया है।
इन सार्वजनिक स्थलों पर रहेगा धूम्रपान निषेध
तम्बाकू नियंत्रण कानून 2003 के तहत सार्वजनिक स्थलों जैसे सभागृह, अस्पताल भवन, रेल्वे स्टेशन व प्रतिक्षालय, मनोरंजन केन्द्र, रेस्टारेन्ट व शासकीय कार्यालयों, न्यायालय परिसर, शिक्षण संस्थानों, पुस्कालय, लोक परिवहन, अन्य कार्य स्थल, कार्यालय व दुकाने आदि में धूम्रपान निषेध है, उल्लंघन करते पाए जाने पर 200 रूपए तक का जुर्माना होगा।