
पूरे शहर में गड्ढों का निर्माण और धूल के बादल बनाने वाले इस सीवर प्रोजेक्ट शहर की करोड़ो रूपए की सडके लील गया। लगातार इस प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की खबरे आ रही है। प्रोजेक्ट तहत बनाए गए चैम्बर शुरू होने से पहले ही टूट गए है। पीएचई ने इस प्रोजेक्ट की लापरवाही भ्रष्टाचार और अनियमितता में पीएचडी कर ली है। सीधा-सीधा कहने का मतलब जमकर विभाग ने भ्रष्टाचार किया है।
सन 2012-13 में सीवर प्रोजेक्ट की शुरूवात हुई थी और सन 2015 में इस प्रोजेक्ट का काम खत्म होना था। 69 करोड रूपए थी प्रोजेक्ट की प्रारंभिक लागत लेकिन समय के बढने के कारण इस प्रोजेक्ट की लगात रिवाईज होते-हाते 100 करोड़ रूपए तक पहुंंच गई है। लगभग 20 करोड रूपए की लागत से बन रहा है ट्रीटमेंट प्लांट।
बताया जा रहा है कि 38 किमी लाईन सकरी गलियों की वजह से नही डाली जाएगी। विभाग ने सीना तानकर यह तो बता दिया कि 38 किमी लाईन सकरी गलियों के न होने के वजह से पुरानी लाईन में जोड दिया जाऐगा लेकिन 38 किमी लाईन का बिल इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाली कंपनी को करेंगें की नही।
कुल मिलाकर सीधे-सीधे 38 किमी लाईन का पेमेंट बिना काम करे पचाने की तैयारी कंपनी और पीएचई विभाग कर रहा था। लेकिन मिडिया में खबर लीक होने के कारण इनकी प्लानिंग पर पानी फिर गया। और पानी उस उम्मीद पर फिर गया है कि यह प्रोजेक्ट सक्सैस होगा की नही...