इस बार कोलारस में कांग्रेस के विजय रथ को रोक सकता है मड़वासा का मोड़ा

शिवपुरी। पिछले 2 बार से कोलारस विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। अगर इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ओर बसपा का गठबधंन होता है तो कोलारस सीट भाजपा के लिए दूर की कौडी साबित हो सकती है। पिछले दशक से कोलारस में चुनाव 2 नेताओ के बीच नही 2 ऐसे व्यक्ति के बीच होता आया है जो धनबल से युक्त रहे है। ऐसे में देवेन्द्र जैन से बड़ा चेहरा भाजपा के पास नहील है और देवेन्द्र जैन लगातार 2 चुनाव हार चुके है भाजपा फिर देवेन्द्र पर दांव नही खेल सकती। 

कोलारस विधानसभा क्षेत्र सामान्य होने के बाद हुए तीन चुनावों में खास बात यह है कि तीनों बार भाजपा की ओर से पूर्व विधायक देवेंद्र जैन ने मोर्चा संभाला। 2008 के चुनाव में उनका मुकाबला कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशी स्व. रामसिंह यादव से हुआ और कांटे के संघर्ष में भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन को महज 250-300 मतों से विजयश्री हासिल हुई, लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में स्व. रामसिंह यादव ने भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन से अपनी हार का करारा बदला ले लिया। 

स्व. रामसिंह यादव प्रदेश में भाजपा की लहर के बावजूद अपने प्रतिद्वंदी देवेंद्र जैन से 25 हजार से अधिक मतों से जीते। वह भी उस स्थिति में जबकि मुकाबले में बसपा के मजबूत प्रत्याशी चंद्रभान सिंह यादव थे जिन्होंने लगभग 20 हजार मत बटोरे। स्व. यादव अपना कार्यकाल पूर्ण नहीं कर पाए और हृदयाघात से उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद कांग्रेस ने सहानुभूति लहर बटोरने के लिए राजनीति से अनजान उनके व्यवसायिक पुत्र महेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा जो पूरी तरह से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पर आश्रित रहे। 

जबकि भाजपा ने भले ही देवेंद्र जैन को टिकट दिया, लेकिन उन्हें जिताने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, यशोधरा राजे सिंधिया, नरोत्तम मिश्रा सहित समूची कैबिनेट ने पूरी ताकत फूंक दी। भाजपा की मुश्किल यह भी थी कि मैदान में बसपा का कोई प्रत्याशी नहीं था। जिसका लाभ भी कांग्रेस प्रत्याशी को मिल रहा था। ऐसा माना जा रहा था कि उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की 30-40 हजार मतों से अधिक विजय होगी। भाजपा की मेहनत का परिणाम यह हुआ कि जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते गए कांग्रेस और भाजपा के बीच मतों की खाई कम होती रही और चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र यादव की जीत का अंतर अपने पिता की तुलना में काफी घटकर महज 8 हजार मतों पर सिमट गया। 

इस पराजय के बाद भी भाजपा ने महसूस किया कि यदि कोशिश की जाए तो कांग्रेस के कोलारस गढ़ पर कब्जा किया जा सकता है। इस सोच के आधार पर कांग्रेस प्रत्याशी और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया जनता का आभार प्रदर्शन करने के लिए आते उसके पूर्व ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोलारस आकर जनता के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की और कहा कि हार के बाद भी वह अपने वायदे नहीं भूले हैं। 

मुख्यमंत्री अपने वादो को भूलते इन वादो को मड़वासा के मोड़ा के नाम से जाने वाले भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य सुरेन्द्र शर्मा केश करा लाए। मुख्यमंत्री चौहान ने चुनाव के दौरान बदरवास में कॉलेज की घोषणा की थी और उस घोषणा को पूर्ण किया गया। कोलारस स्टेशन पर इंदौर इंटरसिटी के स्टॉपेज का आश्वासन दिया गया था उसे भी भाजपा ने पूर्ण कर दिखाया और इंटरसिटी ट्रेन अब कोलारस में भी रूकने लगी। बल्कि भोपाल तक पुन: पहुंचने लगी है। 

भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुरेंद्र शर्मा उपचुनाव के बाद से लगातार कोलारस में सक्रिय हैं और समय समय पर कोलारस विधानसभा क्षेत्र की हर छोटी बड़ी समस्या को वह उठा रहे हैं। कोलारस क्षेत्र के लोगों के लिए टोल टैक्स के मासिक पास बनवाने में भी उन्होंने बहुत मेहनत की। उसकी तुलना में उपचुनाव के बाद कांग्रेस की सक्रियता विधानसभा क्षेत्र में थमी है। 

विधायक महेंद्र यादव भी जनता के प्रति विश्वास को कायम नहीं रख पा रहे हैं। अपने पिता की छवि का लाभ उठाकर वह उपचुनाव भले ही जीत गए हों, लेकिन तीन माह में ही एंटी इंकम्बेंसी उनके खाते में जुड़ गई है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस आलाकमान की सोच है तीन माह पहले जो विधायक बना हो उसका टिकट कैसेे काटा जाए, लेकिन सर्वे को आधार यदि बनाया गया तो कमलनाथ की सूची में महेंद्र यादव स्थान पा सकते हैं। 

अगर किन्ही कारणो से महेन्द्र यादव को टिकिट नही मिला तो दूसरे यादव बंधु भी लाईन में लगे है। दूसरे यादव बंधु भी महेन्द्र यादव से धनबल से कम नही है और सिंधिया निष्ठ भी है। कांग्रेस-बसपा का गठबंधन ओर किसी यादव को टिकिट सांसद सिंधिया का जादू इन तीनो को जोडकर कांग्रेस यहां अजेय है,लेकिन पिछले कुछ माह से सुरेन्द्र शर्मा ने जो कोलारस क्षेत्र में सक्रियता दिखाई उससे लगता है कि कोलारस में कांग्रेस के अजेय रथ को सुरेन्द्र शर्मा की रोक सकते है।