
साथ ही शहर के प्रबुद्ध नागरिकों ने भी मंच पर पहुंचकर अनशन स्थगित करने का अनुरोध किया है। जिस पर पब्लिक पार्लियामेंट के सदस्य आमजन के बीच जाकर उनकी राय लेने की योजना बना रहे हैं। जिससे ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि एक या दो दिन में ही अनशन स्थगित कर दिया जाएगा। हालांकि पब्लिक पार्लियामेंट ने इस बात की पुष्टि नहीं की है। पब्लिक पार्लियामेंट से जुड़े प्रमोद मिश्रा का कहना है कि अभी ऐसा कोई निर्णय उनकी संस्था ने नहीं लिया है। वह अभी धरने पर बैठे हुए हैं। उनसे लोगों ने अपील अवश्य की है जिस पर विचार जारी है।
ज्ञात हो कि सिंध जलावर्धन योजना वर्ष 2009 से प्रारंभ होकर 2018 तक पूर्ण नहीं हुई जिसमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ है और इस योजना की लागत 65 करोड़ से बढक़र 125 करोड़ हो गई है। इसके बावजूद भी सिंध का पानी लोगों के घरों तक नहीं पहुंचा है। जिसे लेकर पब्लिक पार्लियामेंट ने वर्ष 2015 में जलक्रांति सत्याग्रह प्रारंभ किया। उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्याग्रहियों को 6 माह में कार्य पूर्ण होने का आश्वासन दिया। उस समय कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा की जानकारी पब्लिक पार्लियामेंट को दी और उनसे सत्याग्रह स्थगित करने की अपील की थी।
जिस पर पब्लिक पार्लियामेंट ने आंदोलन स्थगित कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी सिंध जलावर्धन योजना के कार्य में प्रगति नहीं आई और यह योजना कई बार खटाई में पड़ गई और इस समय भीषण गर्मी के कारण शहर में पानी के लिए त्राहि त्राहि मचने लगी जिसे देखते हुए पब्लिक पार्लियामेंट ने पुन: जलक्रांति शुरू करने का निर्णय लिया और 21 अप्रैल से यह आंदोलन आज 53वें दिन जारी है जिसमें उनकी दो ही प्रमुख मांगे थी एक तो भ्रष्टाचार के दोषियों पर कार्यवाही, दूसरा घटिया पाइप लाइन बदलना। जिनमें से एक मांग तो शासन ने पूरी कर पाइप लाइन बदलने का नगरपालिका के माध्यम से टेंडर जारी करा दिया है, लेकिन दोषियों पर कार्यवाही करने की मांग पर शासन और प्रशासन ने चुप्पी साध ली।
इसे लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित प्रभारी मंत्री रूस्तम सिंह, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को पत्र लिखकर और उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलकर उक्त समस्या से अवगत कराया, लेकिन किसी ने भी इस मामले में कार्यवाही करने का आश्वासन नहीं दिया। बाद में कलेक्टर शिल्पा गुप्ता ने भी दोषियों पर कार्यवाही को लेकर ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया और इसका नतीजा यह हुआ कि यह आंदोलन 53वे दिन भी जारी है।
शासन प्रशासन द्वारा आंदोलन को समाप्त कराने की कोई पहल नहीं की। तब शहर के प्रबुद्ध नागरिकों ने आगे बढक़र पब्लिक पार्लियामेंट को धरने से उठने की अपील की और दोषियों पर कार्यवाही कराने के लिए न्यायिक प्रक्रिया अपनाने की सलाह दी है और शहरवासी उनसे अनशन स्थगित करने की अपील कर रहे हैं। अब देखना यह है कि जनता की अपील का असर पब्लिक पार्लियामेंट पर कितना पड़ता है।
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