चुनावी जुमला साबित हुए आदिवासियों के 1 हजार रूपए, हजार चक्कर के बाद भी नहींं मिल रहे

शिवपुरी। अभी हाल ही में कोलारस में हुए उपचुनाव से पहले आदिवासी वोटरों को अपने कब्जे में लेने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासीयों के खातों में सब्जी भाजी के लिए एक हजार रूपए देने की बात कही थी। लेकिन उसके बाद चुनाब आने से प्रशासन ने इस योजना में जमकर हिस्सेदारी दिखाई। आदिवासियों को लगातार मिलने बाली 1 हजार रूपए की राशि लगातार चार से पांच माह तो गरीब लोगों एक-एक हजार रूपए मिले। परंतु चुनाव के परिणाम में नतीजे भाजपा सरकार के खिलाफ जाने से अफसर भी इस योजना में रूचि नहीं दिखा रहे है। 

इस स्क्रीम में सहरिया आदिवासी परिवारों को कुपोषण से मुक्ति के लिए हर महीने यह रूपए दिए जाना हैं लेकिन शिवपुरी जिले में आदिवासियों को यह पैसा नहीं मिल रहा है। परेशान आदिवासी पैसा न मिलने को लेकर जिम्मेदार अफसरों के कार्यालयों और बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कई सहरिया आदिवासी परिवारों की महिलाओं ने बताया कि भाजपा की शिवराज सरकार ने बड़े जोर-शोर से उन्हें एक हजार रुपए हर महीने देने का वायदा किया था लेकिन यह पैसा चार महीने से उन्हें नहीं मिला है। भाजपा द्वारा विधानसभा चुनाव से पहले आदिवासियों के वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए इस स्क्रीम को चालू किया गया था लेकिन पैसा न मिलने से आदिवासियों में बढ़ती नाराजगी भाजपा के लिए आने वाले समय में परेशानी का सबब बन सकती है। 

40 में से 28 हजार चिंहित फिर भी नहीं मिल रहा पैसा
जिले में 40 हजार से ज्यादा आदिवासी परिवार हैं लेकिन अभी तक 28 हजार ही आदिवासी चिंहित हो पाएं हैं और इन्हें भी हर महीने यह पैसा नहीं मिल रहा है। हर महीने राज्य शासन से आदिम जाति कल्याण विभाग को यह बजट आ रहा है इसके बाद आदिम जाति कल्याण विभाग को जनपद पंचायतों के माध्यम से पैसा वितरित करवाना है लेकिन अफसरों के निष्क्रियता से आदिवासियों को यह पैसा नहीं मिल पा रहा है। 

शहरी क्षेत्र में ही हालत खराब
शहरी क्षेत्र की पुरानी शिवपुरी के पास स्थित महल सराय आदिवासी बस्ती का जब दौरा किया तो यहां पर रहने वाले कई आदिवासी परिवारोंक को पैसा नहीं मिला है। शहरी क्षेत्र की आदिवासी बस्ती का जब यह हाल है तो ग्रामीण इलाकों में क्या हाल होगा इसे आसानी से समझा जा सकता है। महल सराय की महिला बृज आदिवासी, रामप्यारी आदिवासी, संपत आदिवासी ने बताया कि उन्हें चार महीने से पैसा नहीं मिला है। कई बार कलेक्टर सहित जनसुनवाई में शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। 

खेल मंत्री ने भी जताई नाराजगी
खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने जब अपने विधानसभा क्षेत्र के नावली, चंदावनी, शाजापुर, अमरपुर गांव का दौरा किया तो यहां पर कई सहरिया आदिवासी परिवारों को एक-एक हजार रुपए न मिलने की शिकायत आई। इसके बाद गुरुवार को एक समीक्षा बैठक के दौरान खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रभारी बीपी माथुर पर नाराजगी जाहिर की। खेल मंत्री ने कलेक्टर को निर्देश दिए हैं कि जल्द से जल्द यह पैसा आदिवासियों को दिया जाए। 

एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं अधिकारी
आदिवासियों को पैसा वितरण का काम आदिम जाति कल्याण विभाग को करना हैं लेकिन जब पैसा वितरण में चल रही लापरवाही का मामला सामने आया तो आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी जनपद पंचायतों पर जिम्मेदारी टाल रहे हैं। आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रभारी अधिकारी वीपी माथुर ने बताया कि हम तो बजट प्रदाय करते हैं। आदिवासियों के खाते में पैसा पहुंचाने का काम जनपद पंचायतों का हैं। उन्होंने बताया कि जनपद पंचायतों द्वारा पैसा वितरण के लिए खाता खोलने की प्रक्रिया और राशि वितरण व्यवस्था सही न होने से यह पैसा आदिवासियों के खातों में नहीं जा पा रहा है। वहीं जनपद पंचायतों के सीईओ का कहना है कि पैसा समय पर नहीं आने और खातों की केवाईसी की जानकारी सही नहीं होने से पैसा वितरण में दिक्कत आ रही है। 

वन विभाग के ड्राफ्ट मेन के हाथ में इतना बड़ा विभाग
शिवपुरी में आदिम जाति कल्याण विभाग की कमान वन विभाग के एक ड्राफ्ट मेन के हाथ में है।  सूत्रों ने बताया है कि यहां पर जिला संयोजक के पद पर जिस महिला अधिकारी की पोस्टिंग की गई है वह नाम की अधिकारी हैं। जबकि अनाधिकृत तौर पर प्रभारी बन कर वन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आए एक तृतीय श्रेणी अधिकारी वीपी माथुर ही पूरा काम देखते हैं लेकिन इनकी विवास्पद कार्यप्रणाली को लेकर जिले में आक्रोश है। खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने गुरुवार को नाराजगी जाहिर करते हुए वीपी माथुर को उनके मूल विभाग में वापस भेजने के निर्देश कलेक्टर को दिए हैं। 

इनका कहना है-
यह बात सही है कि पिछले चार महीने से पैसा आदिवासियों के खाते में नहीं पहुंच रहा है। इसमें हमारी गलती नहीं है यह पैसा जनपदों को हम देते हैं इसके बाद जनपद पंचायतों को आदिवासियों के खाते में यह पैसा पहुंचाना होता है वहीं से यह प्रॉब्लम है। खातों की जानकारी जनपद अधिकारी एकत्रित कर रहे हैं। 
वीपी माथुर 
प्रभारी, आदिम जाति कल्याण विभाग शिवपुरी