आखिर दोशियान की गलती की सजा कब तक भोगेगी शिव की नगरी, फिर टिकरी निकली

शिवपुरी। शहर में प्यासी जनता के लिए सिंध परियोजना भागीरथी बन गई है। शहर वासियों के लिए पानी महज एक सपना बन गया है। एक रोज खबर आती है कि शहर में सिंध के पानी से टंकिया भरी होने लगी है। उसके बाद ही खबर आती है कि सिंध के नाम पर मजाक कर रही दोशियान कंपनी की लगाई हुई टिकरी फिर निकल गई है। अब फिर शहर में पानी के लिए पब्लिक को इंतजार करना पड़ेगा। शहर में यशोधरा राजे सिंधिया ने इस योजना को सुचारू रूप से प्रारंभ करने के लिए हर भरसक प्रयास किए परंतु यशोधरा राजे के अरमानों पर दोशियान हर बार पानी फेर देती है। 35 किमी लंबी सिंध पेयजल परियोजना में आए दिन पाइप फूट रहे हैं, लाइन लीकेज हो रही है और पानी घर-घर तक छोडि़ए, पांच पेयजल की टंकियों तक भी नहीं पहुंच पा रहा। बिना पाइप लाइन टेस्टिंग किए जल सप्लाई का खामियाजा जनता भुगत रही है और भीषण गर्मी में पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रही है। सिंध का पानी घर-घर तक पहुंचाने के नाम पर सवाल यह है कि यह मजाक कब तक चलेगा। 

2009 में सिंध पेयजल परियोजना का काम प्रारंभ हुआ और हर हालत में यह परियोजना 2012 तक पूर्ण हो जानी थी, लेकिन 2018 में भी इस योजना के क्रियान्वयन पर प्रश्र चिन्ह लगा हुआ है। तीन माह पहले सिंध का पानी शिवपुरी बायपास पर पहुंच गया था तो शहरवासियों में हर्ष की लहर दौड़ गई थी और ऐसी आशा बंधी थी कि इस गर्मी में शिवपुरीवासियों को पानी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। उन्हें रतजगा नहीं करना होगा। 
कायदे से शहर में पानी पहुंचने के बाद दोशियान को पूरी 18 टंकियों को जोडऩा था और शहर में पाइप लाइन डालने का कार्य पूर्ण करना था, लेकिन यह काम तो तब हो पाता जब मड़ीखेड़ा से सिंध का पानी निर्वाध गति से शिवपुरी पहुंच पाता। तीन माह पहले सिंध का पानी शिवपुरी पहुंचने के बाद ऐसा विराम लगा कि अभी तक शिवपुरी की जनता पानी का इंतजार कर रही है। 

दोशियान हमेशा एक नई डेडलाइन देती है और वह डेडलाइन निकल जाती है और पानी शिवपुरी नहीं पहुंचता। कभी डूब क्षेत्र में कभी 18वीं बटालियन में तो कभी खूबत घाटी में पाइप लाइन में लीकेज आ जाता है और शिवपुरी की जनता पानी का इंतजार करते-करते रह जाती है। दो बार तो पानी की आशा में यशोधरा राजे सिंधिया फिल्टर प्लांट भी पहुंची, लेकिन उन्हें भी निराशा हाथ लगी। 

उनका धैर्य जब समाप्त हा गया और लगने लगा कि सिंध का पानी लाना दोशियान के बस की बात नहीं है तो यशोधरा राजे ने नाराजगी जाहिर करते हुए दोशियान को अल्टीमेटम दे दिया वहीं सिंध जलावर्धन योजना की वस्तु स्थिति जानने के लिए विशेषज्ञ डॉ.राव और नगरीय प्रशासन विभाग के ईएनसी प्रभाकांत कटारे को शिवपुरी भेजा जहां उन्होंने मड़ीखेड़ा से शिवपुरी तक 35 किमी लाइन का निरीक्षण किया। दोनों अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि एक तो लाइन के लीकेज को ठीक करने के लिए जिस मटेरियल का इस्तेमाल किया जा रहा है वह गुणवत्ताविहीन है और उसे बदला जाना चाहिए। 

वहीं उन्होंने एयर बाल्व लगाने की भी सलाह दी। उनकी सलाह पर दोशियान ने पाइप लाइन लीकेज दुरूस्त किए तथा हवा और पानी का पाइप लाइन में प्रेशर कम करने के लिए एयर बाल्व लगाए। 15 अप्रैल को रात्रि 11 बजे दोशियान ने फिल्टर प्लांट से पानी छोड़ा तो वह 16 अप्रैल को सुबह 6 बजे शिवपुरी बायपास पर पर्याप्त प्रेशर के साथ पहुंच गया। 

बताया जाता है कि पाइप लाइन में प्रेशर कम करने के लिए 100 एम्पीयर की मोटर को 70 एम्पीयर पर चलाया गया। कारण चाहे कुछ भी हो, लेकिन पानी पहुंच गया तो लोगों ने राहत की सांस ली। इसके साथ ही पानी चीलौद संपवैल और गांधी पार्क की पानी की टंकी पर भी पहुंचा। यशोधरा राजे सिंधिया दोनों स्थानों पर निरीक्षण करने के लिए पहुंची और उन्होंने आशा की कि इस योजना में अब विलम्ब नहीं होगा तथा कोई नया लीकेज सामने नहीं आएगा। बताया जाता है कि प्रेशर इतना पर्याप्त था कि लगभग तीन सैंकड़ा टैंकर भर गए। यह स्थिति दोपहर साढ़े तीन बजे तक जारी रही, लेकिन इसके बाद लाइन में पुन: लीकेज आया। बताया जाता है कि पहले डूब क्षेत्र में और फिर 18वीं बटालियन के पास पाइप लाइन में लीकेज आया। 

बायपास पर जब अचानक पानी आना बंद हो गया तो नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह वस्तु स्थिति जानने के लिए शिवपुरी से रवाना हुए तो उन्हें लीकेज का पता चला। पहले मड़ीखेड़ा से मोटर बंद की गई और फिर फिल्टर प्लांट की मोटर बंद की गई। लीकेज ठीक करने के बाद आज उम्मीद है कि पानी पुन: छोड़ा जाएगा, लेकिन सवाल यह है कि आखिरकार यह मजाक कब तक चलेगा। 

योजना की सफलता तब मानी जाएगी जब मड़ीखेड़ा से तीनों मोटरें चलाकर पानी फिल्टर प्लांट तक छोड़ा जाए और फिल्टर प्लांट से मोटर चलाकर पानी शिवपुरी में पानी की टंकियों तक बिना किसी बाधा के पहुंचे।