
सांसद सिंधिया ने कहा कि मड़ीखेड़ा से पानी की लाइन डालने के लिए उन्होंने व्यक्तिगत प्रयास कर शहरी विकास मंत्री जयपाल रेड्डी से यूपीए सरकार की योजना यूआईडीएसएसएमटी के तहत मार्च 2008 में मंजूर करवाया था। इस योजना का क्रियान्वयन म.प्र. सरकार को करना था, लेकिन आज 10 वर्ष निकल जाने के बाद भी इसका कार्य पूरा नहीं हो सका है। कार्य को लेकर पूर्व में भी तीन बार सीएम चौहान के नाम पत्र लिखे थे लेकिन उनका आज तक जबाव नहीं मिला।
इसके साथ ही योजना के घटिया मटेरियल इस्तेमाल की खबरें लगातार समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही है। जगह-जगह पर पाइप फूट रहे हैं, पाइप अनेक जगह डैमेज है। जनता पीने के पानी के लिए 350 रुपए का टैंकर खरीदने मजबूर हैं। पत्र में सिंधिया ने लिखा कि जनता को पानी उपलब्ध करना आपकी प्राथमिकता हैं ही नहीं, या तो फिर यह हमारे शिवपुरी के वासियों के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश है।
सांसद सिंधिया ने सीएम से पूछे यह सवाल
पत्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मु यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से पत्र में सवाल के जबाव मांगे जिसमें यह पूछा
1. इस योजना में हुई इतनी देरी और खराब गुणवत्ता के बावजूद जिम्मेदारी तय क्यों नहीं की जा रही है।
2. दोषी ठेकेदारों और अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है।
3. पाइप एवं अन्य सामग्री लगाने से पहले उसकी गुणवत्ता की जांच क्यों नहीं की गई।
4. आप बिजली लाइन की समस्या का स्थाई समाधान निकालने के लिए वन विभाग से तत्काल अनुमति क्यों नहीं लेते।
5. 10 साल से चले आ रही इस योजना की शीघ्र समाप्ति पर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा।
6. एक ओर शहर में पीने का पानी नहीं उपलब्ध कराया जा रहा, दूसरी ओर नगर पालिका को बोरिंग की अनुमति नहीं दी जा रही तो आखिर शहर के नागिरकों को पानी कहां से मिलेगा।
7. क्या कारण है कि क्षेत्र के जनप्रतिनिधि के पत्रों के जबाव भी नहीं दिए जा रहे हैं।
सिंधिया ने लोगों को मड़ीखेड़ा पेयजल योजना आ रही समस्याओं का जल्द से जल्द हल निकालने की मांग की। उन्होंने कहा कि पाइप की गुणवत्ता जांच कराएं, लीकेज को तुरंत ठीक कराएं, बिजली की लाइन से संबंधित समस्याओं के स्थाई समाधान ढूंढे, नगर पालिका को आवश्यकता अनुसार बोरिंग की अनुमति दी जाए और तत्काल लोगों तक पीने का पानी पहुंचाए।
साथ ही राज्य स्तर के सक्षम तकनीकी व प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम भेजकर इसे जल्द पूर्ण कराने का समयबद्ध कार्यक्रम बनवाकर क्षेत्र की जनता व उन्हें अवगत कराएं तथा कार्य में बरती गई लापरवाही की जांच करवाई जाकर दोषी अधिकारियों व ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई कराएं।
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