सीवर के गड्ढे में गिर गया शिवपुरी का ए​तिहासिक श्री सिद्वेश्वर मेला

शिवपुरी। सिंधिया रियासत कालीन समय में नागरिकों के पूजा अर्चना करने के उद्देश्य से शहर भर में विभिन्न देवी देवताओं के देवालयों का निर्माण कराया गया। जिनमें से सिद्धेश्वर मंदिर शामिल हैं। रियासत कालीन समय के उपरांत सिद्धेश्वर मंदिर प्रांगण में हाट बाजार लगाया जाता था। जिसमें से लोग अपनी आवश्यकता अनुसार सामिग्री की खरीददारी कर सकें। धीरे-धीरे यह हाटबाजार एक विशाल मेले के रूप में परिवर्तित हो गया। जिसमें शिवपुरी ही नहीं बल्कि आसपास के ग्रामीण इलाकों से भी लोग खरीददारी करने आते थे। 

उक्त मेले का आयोजन महाशिवरात्रि से प्रारंभ हो जाया करता था लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही एवं उपेक्षा पूर्ण रवैये के चलते सिद्धेश्वर बाणगंगा मेले के लगने पर प्रश्न चिन्ह लग चुका हैं। इस मेले का आयोजन विगत कई वर्षों से नगर पालिका प्रशासन द्वारा किया जाता था। जिसमें जिला प्रशासन का भी सहयोग रहता था लेकिन इस वर्ष महा शिवरात्रि को गुजरे हुए दो माह का समय व्यतीत हो जाने के बावजूद भी सिद्धेश्वर बाणगंगा मेले का कोई ओरछोर नहीं मिल रहा है। कि मेला आखिर कब शुरू होगा? 

20 दिन से पड़े हैं दुकानदार
जिससे यह तथ्य स्पष्ट उजागर होता है कि शिवपुरी के प्रथम नागरिक मुन्नालाल कुशवाह के साथ जिला मुख्यालय पर पदस्थ अधिकारी अपने कर्तव्य को किस प्रकार अंजाम दे रहे हैं? मेले में आए कुछ दुकानदारों द्वारा वार्ड नम्बर 28 के पार्षद अनीता अजय भार्गव से बार-बार पूछा जा रहा है कि सिद्धेश्वर मेला कब लगेगा? उन्हें मेला प्रांगण में पड़े-पड़े 15-20 दिन का समय व्यतीत हो चुका है। लेकिन मेला लगने के आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि मेले के गेट पर मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं। 

भूमि पूजन ही बन जाएगा समापन कार्यक्रम!
महाशिवरात्रि पर्व पर लगने वाले सिद्धेश्वर बाणगंगा मेला का नगर पालिका अध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह द्वारा मेले का विधिवत भूमि पूजन कर दिया गया। भूमि पूजन के दो माह गुजर जाने के बाद भी आज तक मेला लगने के कोई आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं मेला प्रांगण के आसपास लगे मिट्टी के ढेर पर्वत नुमा नजर आ रहे हैं। सीवर लाईन की खुदाई से मेला प्रांगण तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कतों का सामना करना पड़ेगा। ऐसा प्रतीत होता है कि मुन्नालाल कुशवाह द्वारा मेले का किया गया भूमि पूजन कहीं समापन कार्यक्रम बनकर न रह जायें। जो शहर भर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

जी का जंजाल बनी सीवर की खुदाई
सीवर लाईन प्रोजेक्ट स्वीकृत हो जाने पर शिवपुरी वासियों को यह अनुमान था कि सीवर लाईन बन जाने के बाद शहर में जगह-जगह सेप्टिक टैंक नहीं बनाने पड़ेंगे। लगभग तीन साल पूर्व शहर भर में सीवर लाईन डालने के लिए खुदाई का कार्य प्रारंभ किया गया। जो आज तक पूर्ण होने का नाम नहीं ले रहा हैं। वर्तमान समय में सिद्धेश्वर बाणगंगा मेला प्रांगण के सामने खुदाई का कार्य जारी है। जिसकी बजह से मेले के सामने ही खुदाई से निकलने वाली मिट्टी का पहाड़ खड़ा हुआ है। वहीं सडक़ पर लगभग 25 फुट तक खुदाई की गई है। मेला यदि लग भी गया तो मेले में आने वाले लोगों को प्रवेश करने में ही काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। साथ ही दुर्घटना की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। 

मेले में आने से भी अचकचा रहे हैं दुकानदार
प्राचीन सिद्धेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार के नाम पर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा क्या-क्या गुल खिलाए गए यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है। इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मेला प्रांगण की बाउण्ड्रीबाल खड़ी कर दी गई है। जिसकी बजह से मेला प्रांगण संकुचित हो गया है। मेले में जिस जगह पर झूले, मौत का कुआ, जादूगदर जैसे मनोरंजक कार्यक्रम की स्टॉलें लगाकरती थी वो बाउण्ड्री बाल बन जाने की बजह से लगभग समाप्त हो गई हैं। जिसकी बजह से मेले में घुमंतूओं की संख्या में निश्चित रूप से कमी आएगी। निश्चित समय से मेला यदि लग जाता तो शायद अब तक समाप्त भी हो जाता, यह मेला शिवपुरी ग्रामीण परिवेश से भी जुड़ा हुआ है। जहां से जिले भर के नागरिक अपनी आवश्यकता अनुसार सामिग्री का क्रय करते थे। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही की बजह से सिद्धेश्वर मेला लगने पर ही प्रश्न लगा हुआ है?