
राज्य सरकार ने शिवपुरी के कोलारस और अशोकनगर के मुंगावली विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव से पहले सहरिया, बैगा और भारिया आदिवासियों को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए प्रति माह 1000 रुपये देने का ऐलान किया था। चुनाव से पहले यह राशि उन्हें मिलने भी लगी। कोलारस में जहां 35,000 आदिवासी मतदाता हैं, वहीं मुंगावली में यह आंकड़ा 20,000 के आसपास है।
ज्ञानवती बगैर किसी दल का झंडा थामे आदिवासियों के हक के लिए संघर्षरत हैं। उनका कहना है कि वे स्वयं गोंड आदिवासी हैं। तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद आदिवासियों की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। उन्हें तो सिर्फ योजनाएं गिनाई जाती हैं, चुनाव आते हैं तो लॉलीपॉप थमा दिया जाता है, मगर हर आदिवासी यह जान चुका है कि उसके साथ सिर्फ छल हो रहा है। उसके हक का पैसा नेताओं और अफसरों की जेब में जा रहा है। लिहाजा, उसने राज्य सरकार को संदेश दे दिया है कि उसे हर माह 1000 रुपये देकर खरीदा नहीं जा सकता।