
इस पर उन्होंने डॉक्टर जितेंद्र जाटव के नेतृत्व में एक रेस्क्यू दल बनाकर टीम को मौके पर भेजा। मौके पर जाकर देखा तो कुएं में तेंदुआ लटका हुआ था उसकी गर्दन और कमर टूटी हुई थी। तेंदुआ मरणासन्न हालत में था, लेकिन उसकी सांस चल रही थी।
29 मार्च को 6 से 7 घंटे तक उसका उपचार चला, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। मृतक तेंदुए का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। बताया जाता है कि डैम के पास शिकारियों द्वारा बिछाए गए जालों का शिकार तेंदुआ कुएं में जा गिरा।