अध्यापकों के लिए बुरी खबर: सोशल साईट पर वायरल शिक्षक बनाने का आदेश फर्जी निकला

शिवपुरी। वैसे तो सोशल मीडिया खबरों के आदान प्रदान का सबसे अहम माध्यम बन गया है। परंतु इस मीडिया का कुछ लोगों द्वारा गलत उपयोग किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर किस तरह से लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जाता है। इसकी नजीर आज उस समय मिली जब सोशल मीडिया पर एक हूबहू विभागीय पत्र वायरल हुआ। जिसमें बताया गया था कि प्रदेश भर के तीन लाख शिक्षाकर्मी और संविदा शिक्षक (अध्यापक संवर्ग) को शिक्षक बना दिया गया है। 

महामहिल राज्यपाल के नाम से जारी इस पत्र में बताया गया कि मुख्यमंत्री मप्र शासन द्वारा की गई घोषणा के अनुपालन में वित्त विभाग की सहमती से प्रदेश में अध्यापक संवर्ग का पद समाप्त कर कार्यरत अध्यापक संवर्र्ग के कर्मचारियों को शिक्षा विभाग में संविलयन किया जाता है। संविलयन उपरांत नवीन शिक्षकों का वेतन (7वा वेतन) वित्त विभाग की अलग से स्वीकृति उपरांत देय होगी। 

इस पत्र के वायरल होने के बाद अध्यापकों की बांछे खिल गई। क्योंकि शिक्षक बन जाने के बाद उनका वेतन लगभग दुगना हो जाएगा। परंतु शाम होते-होते जनसंपर्क विभाग ने बाकायदा प्रेस बयान जारी कर उक्त आदेश को फर्जी बताया है। जनसंपर्क विभाग ने शिक्षा विभाग के हवाले से उक्त खण्डन जारी किया। शिक्षा विभाग ने दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने के लिए भी लिखा है। 

जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोलारस और मुंगावली उपचुनाव के दौरान घोषणा की थी कि प्रदेश में अध्यापक संवर्ग को समाप्त किया जाएगा और संविदा शिक्षक तथा शिक्षाकर्मी के पद समाप्त कर उन्हें शिक्षक बनाया जाएगा तथा उनका संविलयन शिक्षा विभाग में किया जाएगा। लेकिन मुख्यमंत्री का यह आदेश व्यवहारिक रूप से क्रियान्वित नहीं हुआ था। 

लेकिन आज एक फर्जी वायरल पत्र ने तीन लाख अध्यापकों को खुशी से भर दिया। उनके घर पर मिठाईयां बंट गई। श्रेय लूटने के चक्कर में कई भाजपा नेताओं ने अपनी फेसबुक पोस्ट और व्हॉट्सएप गु्रप पर उस पत्र को वायरल कर दिया। किसी को बिल्कुल नहीं लगा कि महामहिम राज्यपाल के नाम से जारी उक्त आदेश का पत्र फर्जी है। सरकार के कानों तक जब यह पत्र पहुंचा तो वह हरकत में आई। 

आनन-फानन में शिक्षा विभाग ने उक्त पत्र को फर्जी बताया और देर शाम जनसंपर्क विभाग ने प्रेस नोट जारी कर खण्डन किया कि अध्यापक संवर्ग के शिक्षाकर्मी और संविदा शिक्षकों को शिक्षक बनाने का आदेश फर्जी है।