रूकावट के लिए खेद है: दोशियान ने लाईन के 2 लीकेज जोडे, 3 नए लीकेज मिले

शिवपुरी। शहर के प्यासे कंठों के लिए राहत भरी खबर आई थी शहर में मडीखेड़ा का पानी आ गया है। अब पानी आए और शहर को खुशी न हो यह तो संभव ही नहीं है। शहर खुशी से झूम रहा था। तभी खबर आई कि अभी शहर की टंकियों में पानी पहुंचा ही था कि फिर जर्जर लाईन टूट गई और पानी फिर रूक गया। बीते रोज भी मुन्नालाल खुद टूटी लाईन पर पहुंंचे और पानी को लेकर रोना रोने लगे कि हम क्या करें। अगर लाईन लीक हो गई तो। अब इस तरह शहर में चर्चा बटोरने बाले नपाध्यक्ष यह तो भूल ही गए कि शहर को नर्क बनाने में सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अदा नपा ने की है। जब पूरा शहर चिल्ला चिल्लाकर कह रहा है कि दोशियान कंपनी इस योजना को गर्त में ले जाएगी। और सिर्फ बादों के अलाबा पानी नही पिला पाएगी। फिर क्यों बार-बार दोशियान पर इतनी मेहरवान हो रही है नपा। 

आज नपाध्यक्ष उपाध्यक्ष को लेकर सिंध परियोजना के दो लीकेजों को देखने पहुंची तो जो हस्यप्रद बाक्या सामने आया वह चौकाने बाला था। जो दो लीकेज दोशियान बता रही थी। वह तो दोशियान ने सही कर लिए परंतु अब तीन नए लीकेज और मिल गए। अब शहर प्यास से चिल्लाए तो चिल्लाए पर हम दोशियान सिर्फ इन लीकेजों को ही खत्मकरने में लगी रहेगी। 

सबाल यहां दोशियान द्वारा किए गए कार्य की गुणबत्ता पर भी खड़ा होता है कि आखिर ऐसी लाईन लेकर कहा से आई है दोशियान जो पानी पहुुंचाने से पहले ही लीक हो रही है। अब जब दोशियान पानी पहुंचाने से पहले ही इस कार्य की गुणबत्ता को सरेआम बयान कर रही है तो क्या गांरटी है कि यह शहर को परमानेंट पानी पिला सकेगी। 

बताया गया है कि दोशियान कंपनी द्वारा कभी राजनेताओं के दवाब में, तो कभी प्रशासनिक अधिकारियों के दवाब में शिवपुरी, ग्वालियर वायपास तक पानी लाकर झुनझुना दिखा दिया जाता है। एक दिन भी लगातार पानी की आपूर्ति पूर्ण रूप से नहीं की गई। ऐसी हालत में कभी सिल्ट तो कभी गेट नहीं खुलने का बहाना लेकर दोशियान कंपनी द्वारा समय व्यतीत किया जा रहा है। गत दिवस ग्वालियर वायपास तक पानी लाया गया। इसी दौरान खूबत घाटी पर पाईप लाईन फूट गई। दोशियान कंपनी को नगर पालिका प्रशासन द्वारा करोड़ों रूपए का भुगतान आंख बंद कर दे दिया गया। 

जबकि ठेकेदार द्वारा किए जाने वाले कार्य की निगरानी के लिए नगर पालिका में इंजीनियर तैनात है। जिनके द्वारा दोशियान कंपनी  किए जाने वाले कार्य का निरीक्षण समय-समय कैसे किया जो पाईप लाईन बार-बार फूट जाती है। जिससे यह तथ्य स्पष्ट होता है कि दोशियान कंपनी द्वारा शासन द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर पाईप लाईन नहीं डाली गई। उसमें घटिया क्वालिटी के पाईप लगाए गए हैं, जो पानी का दवाब पड़ते ही फूट जाते हैं। 

अभी शिवपुरी पानी की एक दिन भी आपूर्ति नहीं हो पाई जबकि दोशियान कंपनी द्वारा नई पाईप लाईन बिछाई है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि दोशियान कंपनी द्वारा बिछाई गई पाईप लाईन नई न होकर ईस्ट इंडिया कंपनी के जमाने की पाईप लाईन हो। जो बार-बार फूट जाती है। ऐसी परिस्थिति में प्रशासनिक  इंजीनियरों द्वारा क्या देखकर समय-समय पर टीप लगाकर नगर पालिका से भुगतान को हरी झंड़ी दे दी गई। दोषियान कंपनी जितनी दोषी हैं उससे कहीं ज्यादा निगरानी के लिए तैनात किए गए नगर पालिका के इंजीनियर भी है।

नई पाईप लाईन में दुरूस्तीकरण क्यों?
मड़ीखेड़ा डेम से शिवपुरी तक दोषियान कंपनी द्वारा नई पाईप लाईन बिछाई गई है। जिसमें उसके द्वारा घटिया किस्म के पाईप लगाए गए हैं। कार्य प्रारंभ करने से पूर्व शासकीय मानकों के आधार पर कंपनी द्वारा बताया गया था कि जो पाईप बिछाए जायेंगे वे न तो जलेंगे, न टूटेंगे न ही फटेंगे न सड़ेंगे। लेकिन देखा ऐसा गया है कि पाईप जले भी, टूटे भी और सड़े भी। जिसको शहर ही नहीं आसपास के ग्रामीण लोगों ने भी अपनी आंखों से देखा है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों को इस तथ्य को क्यों अनदेखा कर दिया गया और दोशियान कंपनी द्वारा उन्हीं घटिया किस्म के पाईपों के माध्यम से शिवपुरी पानी लाने का प्रयास किया जा रहा है। घटिया पाईप होने की बजह से पाईप लाईन बार-बार फूट जाती है। जिसके एवज में दोशियान कंपनी द्वारा नगर पालिका से मरम्मत के नाम पर धनराशि ऐंठी जा रही है। जिसको नगर पालिका प्रशासन द्वारा विगत वर्षों से नजर अंदाज किया जा रहा है। जब कंपनी द्वारा नई पाईप लाईन बिछाई गई थी तो उसका दुरूस्तीकरण क्यों?

दोषियों पर कार्यवाही क्यों नहीं?
शिवपुरी शहर की पेयजल समस्या के निराकरण के लिए क्षेत्रीय विधायक व कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया प्राण पण से जुटी हुई है। लेकिन जिला मुख्यालय पर पदस्थ प्रशासनिक अधिकारियों के लापरवाही एवं उपेक्षा पूर्ण रवैये के चलते मड़ीखेड़ा से शिवपुरी तक पानी आने में बार-बार अवरोध पैदा हो रहे हैं या किए जा रहे हैं। दोशियान कंपनी द्वारा डाली गई पाईप लाईन मैं जब घटिया किस्म के पाईप लगाए जा रहे थे। 

उस समय जिला प्रशासन से लेकर नगर पालिका प्रशासन तक पदस्थ अधिकारी व कर्मचारी क्या देख रहे थे। अधिकारी व कर्मचारियों का कार्य महज क्या कमीशन तक ही सीमित है। जो उनके द्वारा निर्माण कंपनी द्वारा किए जाने वाले कार्य का निरीक्षण गंभीरता से नहीं किया गया। जिसका परिणाम शिवपुरी शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है। अभी तो ग्रीष्म ऋतु की शुरूआत हुई है। भीषण गर्मी के समय में पेयजल की समस्या कितनी भयाभय हो जाएगी इसका अंदाजा लगाना कठिन है। दोशियान कंपनी जितनी उक्त कार्य के लिए दोषी है उतने ही प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी भी हैं। लेकिन उनके विरूद्ध कोई दण्डात्मक कार्यवाही नहीं की गई? शिवपुरी की पेयजल समस्या को देखते हुए जिलाधीश तरूण राठी उक्त परियोजना में भ्रष्टाचारी में लिप्त अधिकारी व कर्मचारियों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही करेंगे? या फिर शिवपुरी के नागरिक पेयजल के लिए ऐसे ही तरसते रहेंगे?