
इसके आलावा जो नवीन पदस्थापना की गई उसको देखकर लगता है कि शिक्षा विभाग में व्यवहारिकता नाम की कोई चीज ही नही है। एपीसी अशोक जैन को बीआरसी बदरवास बनाया गया है। संतोष गर्ग वरिष्ठ अध्यापक शासकीय उमावि मुढैरी को प्रभारी एपीसी तथा संजय भदौरिया को वरिष्ठ अध्यापक शासकीय उमावि डामरौन कला करैरा से बीआरसीसी खनियाधानां बनाया गया है।
इनके नवीन पदस्थापना आदेश में लिखा गया है कि सम्बन्धित कर्मचारी अपने वर्तमान पदीय दायित्वों के निर्वहन के साथ-साथ अस्थायी रूप से एपीसी और बीआरसीसी के दायित्व का निवर्हन भी करेंगे।
कैसे दोनों कर्तव्य निभाएंगे कर्मचारी
एपीसी शिवपुरी अशोक जैन को बीआरसी बदरवास बनाया गया है, अब वह 50 किमी दूर जाकर एक ही समय में 2 काम कैसे कर सकते है।
संतोष गर्ग अपने बच्चों को पढाना छोड शिवपुरी कार्यालय में एपीसी का काम कैसे देखेंगे।
संजय भदौरिया को शासकीय उमावि डामरौन कला करैरा से बीआरसीसी खनियाधानां की कुर्सी संभालना है। करैरा से खनियांधाना की दूरी 70 किमी है। परिवहन के साधन भी पर्याप्त नहीं है।
सवाल यह है कि एक व्यक्ति 2 कर्तव्य कैसे निभाएगा।