
बता दें कि ब्राह्मण समाज इन दिनों 'माई का लाल' के कारण भाजपा से नाराज है। शिवराज सिंह सरकार ने दलित वोटों को लुभाने के लिए आरक्षण की जो राजनीति शुरू की है, उसने अनारक्षित वर्ग के कई योग्य युवाओं को बेरोजगार कर दिया। पहली बार मप्र में ब्राह्मण ना केवल लामबंद है बल्कि पूरी तरह से एकजुट है कि ऐसी सरकारों को सबक सिखा दिया जाए जो वोट के लालच में अन्यायपूर्ण आरक्षण लागू करतीं हैं। अटेर और चित्रकूट में अनारक्षित वर्ग ने अपने तेवर दिखा दिए हैं। शायद इसीलिए भाजपा घबराई हुई है और सहरिया सम्मेलन के बाद ब्राह्मण सम्मेलन करा रही है।
बता दें कि सीएम शिवराज सिंह सरकार ने मंदिरों में पुजारी नियुक्त करने के लिए भी आरक्षण नीति की घोषणा की थी। सरकार के एक प्रतिष्ठान में मंदिर में पुजारी बनने के लिए एक कोर्स चलाया जा रहा है। जिसमें ब्राह्मण के अलावा कई ऐसे समाज के लोगों को प्रवेश के लिए आमंत्रित किया गया है, जो शास्त्रानुसार मंदिरों में सेवा के लिए अधिकृत नहीं हैं। इधर चुनावी बेला में ब्राह्मण समाज को मंदिर का सपना दिखाकर पुरानी यादों पर परत चढ़ाने की कोशिश की जा रही है। उम्मीद है बदरवास का ब्राह्मण समाज भाजपा को बता देगा कि उनके 11 लाख की जरूरत नहीं है। इससे ज्यादा की राशि तो ब्राह्मण समाज अपने इष्ट के छत्र के लिए अपनी जेब से एकत्रित कर लेगा। इस तरह की घोषणाएं लालची लोगों को लुभा सकतीं हैं। ब्राह्मण समाज कम से कम लालची तो कतई नहीं।