
उन्होंने कहा कि दान से एक ओर जहां मोक्ष मार्ग प्रशस्त होता है वहीं दान से नरक के द्वार भी खुल सकते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने जैन शास्त्र की एक कथा का बखान करते हुए कहा कि एक ब्राहमणी ने सब्जी बनाई और वह सब्जी कड़़वी हो गई तो उसने उस खराब सब्जी को मास खमण की तपस्या पूर्ण कर चुके साधु जी को अर्पित कर दी।
उक्त संत ने सब्जी को इसलिए नहीं फेंका ताकि उसे खाकर छोटे-छोटे जीव मर न जाएं और खुद ही सेवन कर जीवन का अंत कर लिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि उक्त ब्राहमणी को नर्क मिला। वहीं एक बालक की कथा को सुनाते हुए साध्वीजी ने कहा कि उसने अपनी गरीब मां से जिद कर खीर बनवाई। खीर बनवाने के बाद मां पानी भरने चली गई।
उसी दौरान एक संत वहां आए और उक्त बालक ने थाली में पड़ी खीर को लकड़ी फेरकर दो भागों में बांटा, लेकिन जैसे ही उसने खीर संत के पात्र में डाली पूरी की पूरी खीर पात्र में चली गई और उस बालक को कुछ नहीं मिला, लेकिन शुद्ध भावना से दिए गए दान से वह बालक मोक्ष का अधिकारी बना।
कल मनाया जाएगा भगवान पाश्र्वनाथ का जन्म कल्याणक
पोषद भवन में इन दिनों जैन साध्वियों के प्रवचन सुबह 9 से 10 बजे तक चल रहे हैं। कल 12 दिसम्बर को सुबह 9 बजे पोषद भवन में स्व. वीरचंद्र जी कोचेटा की पुण्यतिथि के अवसर पर 9 से 9:30 बजे तक नवकार महामंत्र का पाठ होगा और इसके बाद जैन साध्वियों के प्रवचन होंगे। सुबह 10 बजे से भगवान पाश्र्वनाथ जी के जन्मकल्याणक के अवसर पर नरेंद्र कुमार तेजमल सांखला परिवार की ओर से श्वेताम्बर पाश्र्वनाथ जैन मंदिर में पूजन का आयोजन किया गया है और दोपहर 2 बजे से दुर्गा टॉकीज के सामने सांखला परिवार द्वारा भंडारा वितरित किया जाएगा।