
यह जीवन प्रति पल हमारे हाथों से रेत की तरह फिसलता जा रहा है और हम इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और पूरे जीवन को मौज मस्ती तथा ऐश आराम में व्यतीत कर रहे हैं। जबकि महान पुरूषों तथा तीर्थकरों का उदाहरण यह बताता है कि उन्होंने संसार रूपी कीचड़ में रहकर किस तरह से निर्लिप्त रहकर कमल बनने में सफलता हासिल की।
उन्होंने कहा कि कमल का सबसे बड़ा गुण यह होता है कि वह कीचड़ से सारतत्व को ग्रहण करता है और असारतत्व को छोड़ देता है। भगवान ऋषभदेव से लेकर भगवान महावीर स्वामी तक का उदाहरण हमारे सामने है। जिन्होंने राजसी सुख भोग त्यागकर मोक्ष की प्राप्ति हेतु त्यागमय जीवन के चरम लक्ष्य को प्राप्त किया। साध्वीजी ने कहा कि व्यक्ति जब संसार में आता है तब साधारण होता है, लेकिन अपने आचरण और सत्कर्मों से वह महान बनने में सफलता प्राप्त करता है।
महानता की सीढ़ी यह है कि हम अपने आपको राग, द्वेष, कलह, मोह, माया, अंहकार से मुक्त रखें। इसी कीमिया से संसार रूपी कीचड़ में रहकर जीवन कमल के समान बन सकता है। साध्वी विभाश्रीजी ने अपने प्रवचन में बताया कि व्यक्ति संपत्ति और यश से महान नहीं बनता। बल्कि वह महानता अपने सत्कर्मों और गुणों से प्राप्त करता है।
संसार की ओर जीवन को मोड़ देने से व्यक्ति यहीं उलझा रहता है, लेकिन ईश्वर की ओर जीवन उन्मुख करने से वह अपने जीवन को एक सकारात्मक दिशा देकर उसे सफल बनाने में सफल रहता है। अन्त में साध्वी विभाश्रीजी ने मांगलिक का श्रवण किया। जिसका लाभ उपस्थित धर्मप्रेमियों ने उठाया।
आज मनाया जाएगा साध्वी आभाश्रीजी का जन्मदिन
पोषद भवन में कल जैन साध्वी आभाश्रीजी का जन्मदिवस धार्मिक आयोजनों के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर भूपेंद्र कुमार श्रीमाल द्वारा नवकार महामंत्र के पाठ का आयोजन किया गया है। तत्पश्चात साध्वी आभाश्रीजी के व्यक्तित्व पर वक्ताओं द्वारा प्रकाश डाला जाएगा और अंत में साध्वी आभाश्रीजी और साध्वी विभाश्रीजी के प्रवचन होंगे।