मीटर और रीडर दोनों गायब, थमाए जा रहे है आंकलित बिल

शिवपुरी। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक तरफ तो प्रदेश के नागरिकों को सुख सुविधायें मुहैया कराने के लिए दिन रात मेहनत करने में लगे हुए है। अभी हाल ही में कोलारस विधानसभा क्षेत्र में विद्युत बिलों की आ रही आंकलित खपत को लेकर उन्होने साफ शब्दों में कहा था कि कोई भी विद्युत उपभोक्ता को परेशानी नहीं होना चाहिए।  विद्युत का बिल अब बोझ नहीं बनेगा यदि अधिक राशि का बिल आता हैं तो अधिकारी उसे छोटा करके जमा कराऐं। इतना ही नहीं विद्युत मंडल के कर्मचारी लोगों परेशानी से बचने के लिए शिविर लगा कर लोगों की समस्यायें सुनें और उन्हें तत्काल हल करने का प्रयास करे, लेकिन शिवपुरी जिले में विद्युत मंडल के कर्मचारियों की मनमानी के चलते उपभोक्ता काफी परेशान बना हुआ है। 

इसका जीता जागता उदाहरण कहीं और नहीं शहर के मध्य स्थित कस्टमगेट पर सुबह 9 से बजे देर शाम तक देखा जा सकता हैं। क्योंकि यहां पर हजारों नागरिक अपने बिजली के बिलों को लेकर भटकते हुए देखे जा सकते हैं। कोई तो आंकलित बिल से परेशान हैं तो किसी का बिल समय पर नहीं पहुंच रहा है तो, किसी का मीटर खराब हैं या बिल की राशि अधिक आने के कारण उसे कम कराने के लिए उपभोक्ता कस्टम गेट पर अधिकारियों की तलाश करते हुए मिल जाएगा। 

लेकिन अधिकारी इन उपभोक्ताओं को मिल जाए तो मानो भगवान मिल गए हो क्योंकि बेचारा उपभोक्ता इन कर्मचारियों के आगे बिल कम कराने के लिए गिड़गिड़ाता हुआ ही दिखता है। फिर भी इन उपभोक्ताओं की कोई भी सुनवाई नहीं की जाती है। अब देखना यह है कि क्या उपभोक्ता शिवराज के राज में ऐसे ही लुटता पिटता रहेगा या इसे राहत मिलेगी। 

टारगेट पूरा करने के लिए बनते हैं गलत बिल
ठेकेदार के कर्मचारियों द्वारा विद्युत उपभोक्ताओं को गलत बिल बनाकर थमाए जाते हैं। आखिर विद्युतमंडल ठेकेदार के कर्मचारियों द्वारा उपभोक्ताओं को गलत बिल देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली जाती है। जिन्हें सुधरवाने के लिए कस्टमगेट पर उपभोक्ताओं का तांता लगा रहता है। लेकिन यहां पर उपभोक्ताओं की सुनने वाला कोई भी जवाबदार कर्मचारी उपलब्ध नहीं होता है। 

शहर के बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर बेधडक़ अवैध रूप से विद्युत का उपयोग किया जाता है। ऐसे क्षेत्रों में न तो ठेकेदार के आदमी जाते हैं और न ही विद्युत मंडल के कर्र्मचारी। अवैध रूप से जो विद्युत का उपयोग किया जाता है उनके बिल भी बसूल नहीं हो पा रहे हैं। जिनकी भरपाई के लिए उनका बोझा ऐसे उपभोक्ताओं पर डाल दिया जाता है जो ईमानदारी से अपने बिल का भुगतान करते हैं।

उच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन 
कहने को तो उपभोक्ता ईश्वर का रूप माना जाता है लेकिन इस ईश्वर रूपी उपभोक्ता को विद्युत मंडल के अधिकारी या कर्मचारी किस कदर परेशान करते हैं। ये तो कहीं और नहीं बिजली बिल जमा करते समय पता चलता हैं कि एक उपभोक्ता चार-चार घंटे लाईन में लग कर अपना दिन खराब करके अपनी घर के बिजली बिल को जमा कर पा रहा हैं। उच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से विद्युत मंडल को निर्देश दिए गए हैं कि उपभोक्ता को आंकलित खपत के आधार पर विद्युत बिल न दिए जायें। लेकिन इसके बाबजूद भी उपभोक्ताओं को आंकलित खपत के बिल थमाए जा रहे हैं। जिससे यह स्पष्ट होता है कि उच्च न्यायालय के आदेशों का विद्युत मंडल द्वारा सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है। 

ठेकेदारों की मनमानी के कारण उपभोक्ता परेशान
जब से विद्युत के अधिकारियों से काम ठेकेदारों के हवाले किया है तब से और ज्यादा उपभोक्ता परेशान होना शुरू हो गया हैं क्योंकि पहले महिने में तो स्पोर्ट बिलिंग करने का फरमान ठेकेदार द्वारा दिया गया था लेकिन कुछ उपभोक्ताओं के तो समय पर स्पोर्ट बिल बनाए गए लेकिन कुछ उपभोक्ताओं को आंकलित बिल देकर उनसे बिल की राशि बसूली गई। जिससे उपभोक्ता अतिरिक्त बोझ भी झेलना पड़ा लेकिन दूसरे से महिने से तो उपभोक्ता तक ठेकेदार द्वारा बिल पहुंचाना भी उचित नहीं समझा।

जिसके कारण उपभोक्ता को पहले तो बिजली का बिल निकलवाने के लिए दो से तीन घंटे लाईन में लगना पड़ रहा हैं, लेकिन जब बिजली बिल निकलवाने के बाद पता चलता हैं तो उसे अपने घर के अनुसार दुगनी से तीगनी राशि देखकर अपने होशाहवाश खो बैठता हैं। फिर अपने बिल को सुधरवाने के लिए विद्युत मंडल के कर्मचारियों को खोजता हैं तब कहीं जाकर उसका बिजली का बिल जमा हो पा रहा हैं। यदि यह प्रक्रिया में सुधार नहीं किया तो आने वाले समय में उपभोक्ता बिजली के बिलों को जमा करना भी बंद कर देगा। जिसका दंश सरकार को भी झेलना पड़ सकता हैं। 

कस्टमगेट पर वेतरतीव खड़े वाहनों से होता है यातायात वाधित 
एक तरफ तो उपभोक्ता अपने कर्तव्य की पूर्ति हेतु बिजली के बिल जमा करने के लिए लाईन में लगकर अपने कर्तव्य की इतिश्री करते हैं लेकिन विद्युत मंडल के ठेकेदारों की लापरवाही के कारण उपभोक्ता को काफी परेशान होना पड़ता हैं। क्योंकि अपने साथ लाए वाहन को उनके द्वारा बीच रोड़ पर खड़ा करके घंटों तक विद्युत कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा भुगतने के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है।

जिसके कारण कस्टम गेट पर वाहनों की संख्या अधिक एकत्रित हो जाने के कारण अघोषित स्टेण्ड का रूप धारण कर लेते हैं और जिसके कारण लोगों को आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। जबकि कई बार तो यहां से वाहन चोरी भी चले जाते हैं। जबकि इसकी पूरी जवाब दारी विद्युत मंडल के कर्मचारियों की होती हैं क्योंकि उपभोक्ता तो अपने बिजली के बिल जमा करने आता हैं उसे सर्व सुविधायें भी विद्युत मंडल को देना चाहिए। लेकिन उपभोक्ता को किसी भी प्रकार की सुविधा तो नहीं उलटा उनकी लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है।