चैक बाउंस के मामले में 1 साल की जेल

शिवपुरी। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अभिषेक सक्सेना ने आज अपने एक निर्णय में ऋण राशि को चुकाने हेतु दिए गए चैक, बैंक में पर्याप्त राशि न होने पर उसे बैंक द्वारा अमान्य कर दिया गया। साथ ही बैंक से लिए गए ऋण को नहीं चुकाया गया। उस प्रकरण में आरोपी सलीम खां पुत्र अकबर खां व्यवसाय फल विक्रेता लुधावली शिवपुरी को दोष सिद्ध हो जाने पर एक वर्ष के सश्रम कारावास तथा कुल 77 हजार प्रतिकर अधिरोपित कर दंडित किया है। प्रतिकर राशि अदा न करने पर 6 माह का सश्रम कारावास प्रथक से भुगतना होगा। उक्त मामले की पैरवी अभिभाषक जेपी शर्मा बैंक द्वारा की गई। 

अभियोजन के अनुसार सलीम खां पुत्र अकबर खां आयु 38 वर्ष निवासी लुधावली के द्वारा गुना क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक जो वर्तमान में मध्यांचल ग्रामीण बैंक के नाम से हैं। शाखा शिवपुरी को स्वयं के खाता क्रमांक 8021610130 का चैक क्रमांक 23322 प्र.पी. 1 राशि 65.421 रूपए भरकर ऋण चुकाने के लिए प्रदाय किया गया था। 

लेकिन अभियुक्त के खाते में पर्याप्त निधि न होने के कारण प्रपी का चैक अनादरित हो जने और चैक अनादरण की सूचना पत्र क्रमांक प्र.पी.3 द्वारा अभियुक्त को दिए जाने पर भी विहित 15 दिवस की अवधि में चैक राशि का भुगतान करने से अभियुक्त के असफल होने के लिए किया गया है। 

अभियुक्त द्वारा अधिनियम की धारा 138 का अपराध कारित किया जाना युक्ति युक्त संदेह से परे प्रमाणित होने से उसे अधिनियम की धारा 138 के अंतर्गत दोषसिद्ध करते हुए एक वर्ष के सश्रम कारावास और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 (3) के अंतर्गत चैक राशि 65421 रूपए पर एक वर्ष दो माह की अवधि के लिए 9 प्रतिशत वार्षिक व्याज के अनुसार कुल 6870 इसके अतिरिक्त परिवादी के द्वारा प्रस्तुत न्यायालय शुल्क और प्रकरण के व्यय के लिए 4.709 रूपए  को शामिल करते हुए कुल 77 हजार रूपए प्रतिकर अधिरोपित कर दंडित किया जाता है।

प्रतिकर राशि अदा न करने पर अभियुक्त को 6 माह का सश्रम कारावास प्रथक से भुगताना होगा। प्रतिकर राशि अदा होने पर उक्त संपूर्ण राशि परिवादी को अपील अवधि पश्चात अपील नहीं होने की दशा में अपीलीय न्यायालय के आदेश की प्रतीक्षा की जाए।