आखिर कब मिटेगी यह कुरीति: बेटी पैदा हुई तो पागल घोषित कर दिया, जब बेटा हुआ तो ले गए घर

शिवपुरी। मानों या ना मानो सरकार के हर प्रयास के बाबजूद भी बेटा और बेटी का भेदभाव समाज से खत्म नहीं हो पा रहा है। लोग आज भी बेटी होने पर बहूं को कोसते है। वही बेटे के जन्म लेने पर परिवार में खुशियां मनाई जाती है। हांलाकि समाज की बेटी हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा कर दिखा रही है कि वह हर तरीके से बेटों से बहतर है। परंतु समाज इन बातों को मामने को तैयार ही नहीं है। ऐसा ही एक मामला आज प्रकाश में आया है। जहां एक महिला को बेटी के जन्म देने पर मानसिक रूप से विक्षिप्त मानकर घर से निकाल दिया। वही जब महिला ने बेटे को जन्म दिया तो वह ही परिवार बेटे की चाहत में महिला को वापिस लेने आ गया। 
 
जानकारी के अनुसार बीते रोज एक महिला ने एसडीओपी-तहसीलदार निवास के सामने एक बेटे को जन्म दिया। महिला के ससुराल वालों को जैसे ही पता चला कि बेटा हुआ है, तो वे उसे लेने अस्पताल पहुंच गए। यानी जब तक वो महिला एक बेटी की मां थी, घर वालों ने उसे मानसिक विक्षिप्त बताकर ऐसे ही छोड़ रखा था। लेकिन जैसे ही बेटा हुआ तो वेे मां-बेटे को लेने आ गए। 

खाली जमीन में गंदगी के बीच हुआ प्रसव, डेढ़ घंटे बाद आई एंबुलेंस 
बीते रोज नगर में तहसीलदार व एसडीओपी निवास के सामने खाली पड़ी जमीन में भारी गंदगी के बीच एक मानसिक विक्षिप्त महिला ने बेटे का जन्म दिया। प्रसव की सूचना रहागीरों ने स्वास्थ्य विभाग को दी। इसके डेढ़ घंटे के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची। जननी सुरक्षा वाहन से जच्चा और बच्चा दोनों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। 

करैरा के देवीलाल शर्मा ने बताया कि महिला कई दिनों से खुले आसमान के नीचे रह रही थी, और कोई उसे लेने नहीं आता था। जब महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया तो उसके ससुराल वाले भी वहां आ गए। महिला का नाम भारती पत्नी कैलाश जाटव उम्र 30 वर्ष निवासी ग्राम टोरिया टोकनपुर है। इस मामले में ससुराल जनों ने सफाई दी है कि उक्त महिला मानसिक रूप से विक्षिप्त है और घर से भागकर आ जाती है। हमें जैसे ही सूचना मिली कि लडक़ा पैदा हुआ, तो हम लोग उसे लेने आ गए। वो मानसिक रूप से विक्षिप्त है, और कई माह से नगर में आवारा घूमती रहती है। हम कई दिन से उसे खोज रहे थे। जानकारी मिली तो उसे लेने आ गए।