कोलारस। बीते दिनो कोलारस में रजिस्ट्रार कार्यलय में 3 बीघा जमीन कि रजिस्ट्री कराने आए ब्रजेश आदिवासी निवासी ग्राम पंचायत सेसईखुर्द के ग्राम खरीला कि रजिस्ट्री उसी के ग्राम में रहने वाले उसी समाज के एक व्यक्ति कि जमीन कि रजिस्ट्री होनी थी। जिसके बाद रजिस्ट्रार ने फर्जी जाती प्रमाण पत्र के साथ ब्रजेश को पकड़ लिया और मामाले से कोलारस एसडीएम आरके पांडे को अवगत कराया गया।
जिसके बाद कोलारस एसडीएम आरके पांडे ने मामले पर जांच और कार्यवाही के लिए कोलारस थाने में आवेदन दिया है। फिलहाल यह मामला जिले भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पूरे मामले में ब्रजेश का कहना है कि मुझे इस मामले को कोई जानकारी नही है और मामले के तीन दिन पहले उसी ग्राम के निवासी बलबिंदर सरदार और उसके साथियों उसका आधार कार्ड, फोटो मांगकर ले गए और कहा कि हम आदिवासी कि जमीन खरीदना चाहते है लेकिन हमारे नाम रजिस्ट्री नही हो रही है। जिससे पूरा मामला संदिग्ध नजर आ रहा है।
दूसरी तरफ सुत्रो के हवाले से खबर आ रही है। कि इस मामले में वकील जसमीत सिंह कौर ने आदिवासी कि जमीन की रजिस्ट्री का ठेका लिया था जिसके चलते यह रजिस्ट्री 7 जुलाई को होना थी। चूंकि मामला आदिवासियो कि जमीन से जुड़ा था। जिसके बाद जमीन के तथाकथित ठेकेदारो को रजिस्ट्री कि जल्दबाजी थी जिसमें खरीददार आदिवासी का फर्जी जाती प्रमाण पत्र तैयार कराया गया और रजिस्ट्री कि तैयारी कर ली लेकिन इससे पहले कि रजिस्ट्रार कि नजर ने फर्जी जाती प्रमाण पत्र को पहचान लिया और फर्जी दस्तावेजो के तहत होने वाली रजिस्ट्री होने से बचा लिया। मामला एसडीएम कार्यालय पहुंचा जिसके बाद से कोलारस थाने फिलहाल पुलिस मामले कि जांच कर रही है।
फिलहाल जिस वकील ने रजिस्ट्री का ठेका लिया था उसकी भूमिका संदेह के घेरे में है और वकील साहब अपने आपको बचाने के लिए अपने अटेंडर पर मामला थोपने कि झुगाड़ कर रहे है। बताया जाता है वकील द्वारा अपने अटेंडर पर दबाव बनाया जा रहा है। इस पूरे मामले को अपने उपर ले ले और वकील साहब पाक साफ घोशित हो जाए और फर्जी जाती प्रमाण बनाने कि बात को स्वीकार कर ले। वकील साहब मामले में खुद को क्लीन चिट देने के लिए पुरी ताकत लगा रहे है। जिससे उनके काले कोट पर और काला दाग न लगे। इस पूरे घटनाक्रम से अंदाजा लगाया जा सकता है। यह पूरा घटनाक्रम में षडय़ंत्र पूर्वक योजनाबद्ध तरीके से फर्जी रजिस्ट्री का नजर आ रहा है।
Social Plugin