शिवपुरी। चिटफंड कंपनियां किस तरह से मोटे ब्याज का लालच देकर निवेशकों को धोखा दे रही हैं। इसकी सबसे बड़ी मिसाल पीएसीएल कंपनी है। इस कंपनी ने शिवपुरी के निवेशकों से 100 करोड़ रूपए से अधिक जमा कराया और अब पॉलिसी को मैच्युर हुए 5-5 साल हो गए हैं लेकिन उन्हें न तो मूलधन और न ही ब्याज मिल पा रहा है। अपने पैसों के भुगतान की मांग के लिए पीएसीएल के निवेशकों ने कलेक्टर तरूण राठी को ज्ञापन सौंपा और उनसे अनुरोध किया कि पीएसीएल की जमीनों की नीलामी कर उन्हें भुगतान दिया जाए।
जानकारी के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित न्यायमूर्ति आरएस लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी ने 25 अप्रैल 2017 के आदेश में स्पष्ट किया कि पीएसीएल लिमिटेड की संपत्ति का किसी भी प्रकार से उपयोग न किया जाए और जल्द से जल्द उसकी नीलामी कर निवेशकों को भुगतान किया जाए लेकिन उक्त कमेटी के आदेशों का शिवपुरी में पालन नहीं हो रहा है।
पीएसीएल की जमीनों का धड़ल्ले से खेती की जा रही है तथा कुछ जमीनों का अवैध रूप से विक्रय भी किया जा चुका है। निवेशकों ने बताया कि कंपनी का तहसील राजा की मुढ़ेरी मे 950 बीघा का फार्म, ग्राम बागौदा में 120 बीघा जमीन, मायापुर सालौदा में 350 बीघा जमीन, बूढ़ाडोंगर में 120 बीघा जमीन और रामनगर कोलारस में 140 बीघा जमीन पर कृषि कार्य हो रहा है। निवेशकों ने कलेक्टर को ज्ञापन देकर मांग की कि तत्काल प्रभाव से कृषि कार्य कर रहे लोगों को नोटिस देकर उनसे जमीन खाली कराई जाये तथा नीलामी कर निवेशकों को भुगतान किया जाए।
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