
एसपी शिवपुरी को दिए अपने ज्ञापन में मुन्नालाल कुशवाह समेत सभी कांग्रेसियों ने लिखा है कि कंपनी ने उनके खिलाफ दुर्भावनापूर्वक एफआईआर कराई है, क्योंकि कांग्रेस उनके गलत कृत्यों को उजागर कर रही थी पूर्ण ईमानदारी के साथ काम कराना चाहती है। कार्य की क्वालिटी में पूर्ण गुणवत्ता हो। कार्य समय पर हो, जिससे जनता को योजना का लाभ जल्द मिल सके। क्योंकि कई डेड लाईन दी गई है इसके उपरांत भी आज दिनांक तक योजना का लाभ जनता को नहीं मिल सका है। जगह-जगह लाईन फूटी पड़ी है। नपा के पदाधिकारियों का दायित्व है कि वह योजना का समय-समय पर निरीक्षण कर सकते हैं।
लेकिन इस तरह की पहली घटना है कि चुने हुए जनप्रतिनिधि जिन्हें कानूनन भी हक है कि कार्य की मॉनिटरिंग करें तथा कार्य समय-सीमा में हो, पूर्ण गुणवत्ता के साथ हो लेकिन जनहित की बात करना ही गुनाह है और पुलिस द्वारा दोशियान कंपनी के अपने कृत्यों को छुपाने संस्था प्रमुखों सहित अन्य 50 लोगों पर प्रकरण दर्ज कर दिया गया। यह लोकतंत्र की हत्या है। इस कृत्य की न्यायिक जांच हो।
ज्ञापन में क्यों नहीं बताया कि उद्घाटन करने गए थे
इस ज्ञापन ने चोर की दाड़ी में तिनका वाली कहावत चरितार्थ कर दी है। सवाल यह है कि मुन्नालाल और उनके साथियों ने एसपी को दिए ज्ञापन में यह क्यों नहीं बताया कि वो उद्घाटन करने गए थे जबकि अखबारों में मुन्नालाल ने ही खबरें छपवाईं हैं। उद्घाटन के संदर्भ में उनके बयान भी छपे हैं। राजनीति के पंडितों का कहना है कि मुन्नालाल और उनके साथी यशोधरा राजे सिंधिया पर छापामार राजनैतिक हमले कर रहे हैं। उनका टारगेट सिंध प्रोजेक्ट को समय पर पूरा कराना नहीं बल्कि यशोधरा राजे सिंधिया को तंग करना है। नहीं तो क्या कारण है कि बिना घोषणा, बिना निमंत्रण, बिना सूचना के अचानक एक गिरोह बनाकर नेताओं का दल मौके पर पहुंचा और उद्घाटन किया। अब जबकि एफआईआर हो गई तो उसे मॉनीटरिंग कहने लगे।