बाज नहीं आ रहे शासकीय शिक्षक, कार्यवाही के बाद भी संचालित है इसकी कोंचिंग

शिवपुरी। शहर में इन दिनों स्कूल संचालकों द्वारा शिक्षा का पूर्ण रूप से व्यवसायी करण कर दिया है। यहां पर स्कूल संचालकों ने शासन से मान्यता तो कक्षा 8 तक की ले रखी हैं, लेकिन बच्चों को गुमराह कर के प्रवेश कक्षा 12 वीं तक दे रहे हैं। शासन के नियम भी इन विद्यालय संचालकों को पता नहीं है कि 12 वीं तक विद्यालय चलाने के लिए हमें क्या-क्या नियमों का पालन करना पड़ेगा। 

इतना ही नहीं शहर से तहसील स्तर तक के विद्यालयों से बच्चों को फार्म भरा कर परीक्षा दिलाने के लिए ले जाते हैं। इन सब बातों की जानकारी स्थानीय प्रशासन को होने के बाद भी न स्कूल संचालकों के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। इससे साफ जाहिर होता है कि शिक्षा विभाग के कर्ताधर्ताओं से खुले से मिलकर यह खेल चल रहा है। 

चार कमरों में संचालित हैं, हायर सेकेण्ड्री विद्यालय
शहर में दर्जनों स्कूल ऐसे चल रहे हैं जिनके पास बच्चों को ठीक से बिठाने के लिए स्थान भी नहीं है। लेकिन हायर सेकेण्ड्री स्कूल मान्या तो हैं, जबकि शासन के नियमानुसार विद्यालय में खेल का मैदान के साथ-साथ कम से कम दो बीघा जमीन होना अनिवार्य हैं, लेकिन यहां तो कुछ और ही चल रहा है। क्योंकि इन स्कूलों में शासन के नियमों को दरकिनार कर खुले रूप से संचालित है। इन विद्यालयों का स्थानीय अधिकारियों ने कई बार निरीक्षण कर मोटी रकम के माध्यम से सभी स्कूलों नियमानुसार पास भी कर दिया जाता है।  

सेवा प्राइवेट विद्यालय में वेतन शासकीय
शिवपुरी जिले में लगातार शासकीय शिक्षकों की कोचिंग या प्राइवेट विद्यालयों में पढ़ाए जाने कि शिकायत मिल रही है शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जिले में जिलाधीश द्वारा कार्यवाही भी की गई है जिले के दर्जनों शासकीय शिक्षक अपनी सेवा प्राइवेट स्कूलों में या अपनी कोचिंग शहर के विभिन्न क्षेत्रों में संचालित कर रहे है पोहरीं में शासकीय शिक्षक शासकीय स्कूलों में न जाकर प्राइवेट स्कूलों में अपनी सेवा दे रहे है जबकि वेतन शासकीय व प्राइवेट दोनो ले रहे है यदि जिले के मुखिया जिलाधीश पोहरीं क्षेत्र की ओर ध्यान दे तो हजारो गरीब बच्चो का भविष्य सुधार सकता है 

जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को जाती है मोटी रकम
पोहरीं तहसील में शासकीय शिक्षको का स्कूल न जाना या मान्यता 8वीं तक होने के बाद भी 12 वी तक प्रशासन के वेखोफ होकर स्कूलों का संचालक करना इस बात की ओर संकेत करता है कि जिले के शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को एक मोटी रकम जाती होगी।