सुप्रतसागर जी महाराज का चर्तुमास 12 को, बहेगी ज्ञान कि गंगा

कोलारस। गत दिन कोलारस में दिगम्बर जैनाचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री 108 सुव्रतसागर जी महाराज का मंगल प्रवेश हुआ। मुनी श्री कोलारस के श्रीचन्द्रप्रभ् दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर पर विराजमान हैं। आज शुक्रवार को प्रात: 5 बजे से मुनीश्री सुव्रतसागर जी महाराज ने केश लोच किये जो लगभग 40 से 45 मिनट तक चले। इस दिन मुनिश्री ने 24 घण्टे का उपवास रखा। ज्ञात रहे जैन मुनि जिस दिन अपने केशलोचन करते हैं उस दिन से अगले दिन 24 घण्टे तक अन्न-जल ग्रहण नहीं करते हैं। कोलारस नगर में इन दिनों मुनिश्री का सान्निध्य मिल रहा है जिसमें कोलारस नगरवासियों को मुनिश्री के प्रवचनों का लाभ प्राप्त हो रहा है।

मंदिर पर महाराज श्री 108 सुप्रतसागर जी के प्रवेश के बाद बाहर से आए हुए अतिथीयो का स्वागत हुआ। साथ ही महाराज श्री 108 सुप्रतसागर जी कि दिव्य दृष्ठी से नगर वासियो को धन्य कर दिया। साथ ही श्री 108 सुप्रतसागर जी को तीन दिवस होने के पश्चात यह सुनिशचत हो गया कि महाराज श्री 108 सुप्रतसागर जी का चर्तुमास कोलारस में होने जा रहा है। जिसकी कलश यात्रा 12 जुलाई को निकलेगी।

मुनी श्री 108 सुप्रतसागर जी रोज अपने मुख से ज्ञान कि गगरी की बूंदी की भांती अपने भक्तो पर ज्ञान कि बारिश कर रहे है। इसी क्रम में बीते रोज महाराज श्री 108 सुप्रतसागर ली ने प्रश्न, शंका, जिज्ञासा का अंतर समझाया। मुनी श्री के अनुसार महाराज जी से प्रशन करने का अधिकार नही है। 

जब श्रावक मुनी श्री से प्रशन करता है। तो उसका समकक दर्शन मृत्यू को प्राप्त हो जाता है। उसी प्रकार मुनी श्री से शंका का समाधान करने से नेसंकेत अंग चला जाता है। जिज्ञासा का अर्थ क्यिुरीसिटी होता है। जब आप जिज्ञासा करते है तो सभा में सम्मान का पात्र होते है। उसी प्रकार महाराज जी का कहना है। जैन कि पहचान जय जिनेन्द्र से है। जो भी जैन भाई बंधू है। अपने घरो के आगे, दुकानो, वाहनो पर जय जिनेन्द्र लिखवाए।