
क्योंकि शहर की एक दर्जन ऐसी कॉलोनियां हैं जहां विद्युत के पोल गड़े न होने के कारण लकडिय़ों की बल्लियों के सहारे तारों बिछा हुआ है जो बरसात के दिनों में कभी भी बड़े हादसे को अंजाम दे सकता है। बिजली विभाग भी इन तारों के जालों को देखकर भी अंजान बने हुए हैं। जबकि नियम है कि 150 मीटर से अधिक दूरी तक विद्युत के पोल से तार खींच कर अपने घर तक नहीं ले जा सकते।
शहर में पिछले दशक में भू माफियाओं द्वारा कृषि भूमि पर प्लाट काटकर दर्जनों कॉलोनियों का अवैध निर्माण करा दिया गया है। यह कार्य लगातार जारी भी है। लोगों को अपनी लच्छेदार बातों में फंसाकर महंगे दामों पर प्लाट बेचते समय सभी सुविधायें देने का वायदा करते हैं। लेकिन प्लाट बिकने के बाद भू माफिया कॉलोनियों की तरफ मुडक़र भी नहीं देखते। अवैध रूप से तानी गई कॉलोनियों में नागरिक बिजली, पानी, सडक़ जैसी मूलभूत समस्या से जूझते हुए दिखाई दे रहे हैं।
अपने घरों पर रोशनी लाने के लिए लम्बी दूर से बांस और लकडिय़ों की बल्लियों पर बिजली के तार खींचकर मौत को आमंत्रण देने का काम खुले रूप से करते हैं। बरसात के दिनों में जमीन दल-दल होने से बल्लियां कभी भी जमीन पर गिर सकती है और तार टूटने से करंट जमीन में फैल सकता है। करंट फैलने से बड़ा हादसा होने का अंदेशा हमेशा बना रहता है। शासकीय नियमानुसार बिजली की पोल से 150 मीटर तक ही केबिल डालकर घरों तक कनेक्शन ले सकते हैं। बिजली विभाग के कर्मचारियों ने 200 से लेकर 500 मीटर तक लकड़ी की बल्लियों पर तार डालकर मीटर कैसे लगा दिए। यह जांच का विषय है।
अस्थाई विद्युत कनेक्शन देना विभाग की मजबूरी है: पाण्डेय
विद्युत विभाग के एई संदीप पाण्डेय ने अपनी प्रक्रिया देते हुए कहा कि नियमानुसार किसी भी व्यक्ति को सुविधा देने से वंचित नहीं रखा जा सका। विभाग की मजबूरी है कि उन्हें अस्थाई तौर पर कनेक्शन जारी किए जाते हैं। इन कॉलोनियों को कॉलोनाईजर विद्युत के पोल लगवाकर स्थाई कनेक्शन की मांग करेंगे तो वह स्वीकृति देकर स्थाई रूप से कनेक्शन जारी कर देंगे।