अच्छी खबर:शिवपुरी लॉ कॉलेज नहीं होगा बंद, इस सत्र में भी होगें एडमीशन

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शिवपुरी। शिवपुरी लॉ कॉलेज को लेकर प्रदेश की कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने जीवाजी विश्वविद्यालय की कुलपति को पत्र लिखकर छात्रहित को दृष्टिगत रखते हुए इस सत्र में एलएलबी में एडमिशन देंने और शिवपुरी में लॉ कोर्स को किसी भी स्थिति में बंद न होने देने की मांग की थी। 20 दिनों से शिवपुरी पीजी कॉलेज में लॉ कोर्स को बचाने के लिए चल रही कवायद को अब अंतिम रूप में सफलता मिल चुकी है। 

जीवाजी विश्वविद्यालय ने कॉलेज को 27 जून को पत्र जारी कर बीसीआई से अनुशंसा की कार्यवाही इस सत्र में जल्द से जल्द सम्पन्न करने के निर्देश के साथ अंडरटेकिंग देकर छात्रहित में सत्र 2017-18 में एडमिशन की अनुमति देने की कवायद शुरू कर दी है। जीवाजी विश्वविद्यालय की स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग में इस विषय पर कल 29 जून को निर्णय भी हो चुका है। 1.2 दिन में कॉलेज को विश्वविद्यालय से लिखित आदेश मिलते ही एलएलबी प्रथम वर्ष में दूसरे चरण में एडमिशन शुरू हो जाएंगे। 

पीजी कॉलेज शिवपुरी में एल.एल.बी तीन वर्षीय पाठ्यक्रम अब बन्द नहीं होगा। इस सत्र में विद्यार्थियों को एल.एल.बी. प्रथम वर्ष में एडमिशन दिए जाएंगे। उक्ताशय की जानकारी देते हुए प्रोफेसर महेंद्र कुमार एवं दिग्विजय सिंह सिकरवार ने बताया कि शासन पी.जी. कॉलेज शिवपुरी में संचालित एलएलबी तीन वर्षीय पाठ्यक्रम में इस सत्र में एलएलबी प्रथम वर्ष में नए एडमिशन न देने का आदेश जीवाजी विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक 27 मई 2017 में लिए गए निर्णय के अनुक्रम में जीवाजी विश्वविद्यालय महाविद्यालय विकास परिषद द्वारा 06.06.2017 को जारी किया गया था। 

इसके पीछे विश्वविद्यालय ने कारण महाविद्यालय के पास बार काउंसिल ऑफ  इंडिया का एक्सटेंशन ऑफ एप्रूवल ऑफ  आवेदन न होना बताया था। लेकिन यूनिवर्सिटी के इस आदेश के बाद पोहरी विधायक प्रहलाद भारती के नेतृत्व में कॉलेज के प्रतिनिधिमण्डल ने उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया से ग्वालियर में मिलकर लॉ कॉलेज की सम्बद्धता एवं बीसीआई से मान्यता के संबंध में वैधानिक पहलुओं पर सकारात्मक चर्चा की और उच्च शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया था कि लॉ कॉलेज को शिवपुरी में बंद नहीं होने देंगे और इस बावत उन्होंने तत्काल प्रमुख सचिव को फोन पर निर्देश भी दिए थे। 

25 जून को शिवपुरी प्रवास पर आए उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आशीष उपाध्याय से भी इस विषय पर विधायक प्रहलाद भारती, दिग्विजय सिंह सिकरवार, प्रोफेसर महेंद्र कुमार समेत एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिला और चर्चा की एवं उन्होंने 28 जून तक लॉ कॉलेज में एडमिशन की अनुमति जारी करने का सकारात्मक आश्वासन दिया था। 

आखिर क्यों नहीं है कॉलेज के पास बीसीआई की अनुशंसा
उच्च शिक्षा विभाग, विश्वविद्यालय, बीसीआई और कॉलेज के बीच समन्वय न होना और इस प्रकार एक ऐसे लॉ कॉलेज का बंद होने की स्थिति में आ जाना जिसका कि अपना एक गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। यह बात खासी हैरान करने वाली है। आखिर लॉ कॉलेजों के पास बीसीआई का अनुशंसा क्यों नहीं है।  इस संबंध में दिग्विजय सिंह सिकरवार का कहना है कि कई लॉ कॉलेजो के एक्सटेंशन ऑफ  एप्रूवल ऑफ एफिलिएशन के मामले बीसीआई में लंबित हैं। सभी कॉलेजों की बीसीआई में निर्धारित फीस जमा है।

लेकिन बीसीआई की टीम को निरीक्षण के लिए आने की फुरसत नही है। देश भर में एडवोकेट्स एक्ट 1961 धारा 7;एचद्ध में विधिक शिक्षा के नियमन की जिम्मेदारी जिस बीसीआई को सौंपी गयी है उसकी लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण लॉ कॉलेजो के सामने समस्त औपचारिकताएँ पूर्ण करने के बावजूद मान्यता का संकट खड़ा हो गया है। बीसीआई नामक यह सांविधिक संस्था एप्लिकेशन फीस एवं इंस्पेक्शन फीस के नाम पर प्रत्येक शासकीय एवं अशासकीय लॉ कॉलेज से लाखों रुपये की फीस हर दूसरे.तीसरे अकादमिक सत्र में वसूलती है, लेकिन अपने सांविधिक कृत्यों का सम्यक अनुपालन नहीं कर रही है।
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