नेहा मारव्या इफैक्ट: सडक पर होगें अनाथ ,रोका कलेक्टर की गाडी का भुगतान

शिवपुरी । जिले में पदस्थापना के साथ ही चर्चित रही जिला पंचायत सीईओ नेहा मारव्या अब पुन: एक बार फिर चर्चा में आ गई हैं उन्होंने अभी हाल ही में जिलाधीश के बंगले पर लगी गाड़ी का भुगतान रोक दिया है। जिले में स्वच्छता अभियान के तहत निर्माण किए जाने वाले शौचालयों एवं सर्व शिक्षा अभियान व अन्य निर्माण कार्यो के साथ अनाथ बच्चों के होस्टल को दिया जाने वाले खाद्यान का भुगतान तक की फाईलें तक रोक दी गई है। जिससे अनाथ बच्चे परेशान होकर होस्टल छोड़कर जाने को विवश हो गए हैं और हॉस्टल बंद होने के कगार पर है, लेकिन इसके बाबजूद जिला पंचायत सीईओ नेहा मारव्या द्वारा इस ओर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है।

सफारी गाड़ी का भुगतान रोका 
जिलाधीश को सर्वशिक्षा अभियान के तहत विभाग द्वारा सफारी गाड़ी उपलब्ध कराई गई, जिसका भुगतान गत चार माह से नहीं किया गया है। जिला पंचायत सीईओ नेहा मारव्या ने यह कि देते हुए भुगतान रोक दिया कि शासन का आदेश है कि 18 हजार रूपए प्रतिमाह पर गाड़ी लगाई जाए। जबकि पूर्व जिला पंचायत सीईओ जेड यू शेख के कार्य काल में 24,700 रूपए पर गाड़ी भाड़े पर लगाई गई थी जिसका अभी तक भुगतान किया जाता रहा है, लेकिन वर्तमान सीईओ द्वारा कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव के बंगले पर लगी सफारी गाड़ी का भुगतान रोक दिया। इसका मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि अनुबंधित वाहन पर जिस चालक को रखा गया था। उसे कलेक्ट्रेट रेट पर भुगतान के साथ-साथ तत्कालीन अधिकारी ने भोजन व्यवस्था भी शहर के एक छात्रावास में करा दी थी। जो तत्समय से ही जारी थी, लेकिन सीईओ मारव्या ने इस पर आपत्ति की और पूरा मामला उलझ गया। 

विद्यालयों के शौंचालय निर्माण कार्य अधर में 
जिला पंचायत सीईओ नेहा मारव्या की हठ धर्मी के चलते विकास कार्य अधर में लटके हुए है। एक ओर शासन स्वच्छता अभियान के लिए प्राणपण से जुटी हुई है वहीं सीईओ वहीं जिला पंचायत सीईओ शासकीय योजनाओं को पलीता लगाने पर आमादा है। 

विद्यालयों में बनने बाले शौचालयों के साथ बाउन्ड्री बाल के कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इंजीनियरों पर दवाब बनाकर निर्धारित समय में शौचालय निर्माण कराना आवश्यक किया गया है। ऐसी परिस्थिति में संभव ही नहीं है। जबकि बाउन्ड्री बाल का कार्य जनप्रतिनिधियों द्वारा दिया गया है। जबकि सर्वशिक्षा अभियान का दो करोड़ रूपए की राशि लैप्श हो गई।

अनाथ बच्चों के होस्टल बंद होने के कगार पर 
शासन द्वारा कचरा, पन्नी बीनने बाले अनाथ बच्चों को दो जून रोटी उपलब्ध कराने के साथ-साथ शिक्षा दिलाने के लिए उन्हें होस्टल में ठहराने की व्यवस्था शासन द्वारा की गई है।  लेकिन जिला पंचायत सीईओ द्वारा इन गरीब अनाथ बच्चों के हितों को दरकिनार करते हुए खाद्यान के लिए जारी की जाने बाली धन राशि भी जारी नहीं की जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वांकाक्षी योजना के तहत संचालित किया जाने वाला अनाथ बच्चों का होस्टल बंद होने के कगार पर पहुंच गया है। भोजन के अभाव में गरीब तबके के बच्चे इधर से उधर भटक रहे हैं।