शहर से गायब हुए प्याऊ: समाज सेवा धरातल से गायब, फोटो फ्रेम का कल्चर मिक्स

शिवपुरी। एक जमाना था जब शहर के समाजसेवी लोग ग्रीष्म ऋतु का इंतजार करते थे और गर्मी आते ही नगर के विभिन्न इलाकों में शीतल और सुगंधित पेयजल की प्याऊ लगाकर प्यासे लोगों का कंठ तर कर पुण्य के सहभागी बनते थे। लेकिन अब धरातल पर समाज सेवा गायब हो गई हे अब समाज सेवा केवल फोटो फ्रेम तक ही सिमित रह गई है।  

देखने दिखाने को कुछ समाज सेवी संस्थाओं और नगर पालिका ने कुछ स्थानों पर प्याऊ अवश्य लगाई है लेकिन उनमें न तो शीतल और न ही सुगंधित साफ जल लोगों को सुलभ हो रहा है। प्याऊ न होने से नागरिक परेशान बने हुए हैं। 

आज से 20-25 साल पहले तक शहर में समाजसेवा की होड़ लगी रहती थी। नगर पालिका जहां अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करती थी वहीं समाजसेवी लोग भी समाजसेवा के कार्य में बढ़ चढ़कर आगे आते थे। 

गर्मी में सदर बाजार, कोर्ट रोड़, गांधी चौक, माधव चौक, एबी रोड़, बस स्टेण्ड, कमलागंज सहित विभिन्न स्थानों में शहर के प्रतिष्ठित धनाढ्य लोग और समाजसेवी संस्थायें प्याऊ लगाती थी। प्याऊ में शीतल और सुगंधित पेयजल लोगों को मिले इसका भी खास ध्यान रखा जाता था। 

यही नहीं प्याऊ संचालित करने वाले समाजसेवी लोग खुद अपने हाथों से लोगों को पेयजल पिलाकर खुशी महसूस करते थे। हनुमान मिल, सुआलाल सेठ, टोडरमल सिफारिसमल, गोपाल मेडीकल, पत्ते वाले परिवार सहित कर्ई लोग प्याऊ लगाते थे। 

जिससे भीषण गर्र्मी में शहर के किसी भी इलाके से गुजर रहे लोगों को शीतल और शुद्ध पेयजल सुलभ हो जाता था। नगर पालिका की प्याऊ में भी मटकों का ठण्डा पानी लोगों को मिला करता था। दिन तो दिन रात में भी प्याऊ संचालित होती थी। 

प्याऊ के चारों ओर खस की टटियां लगी रहती थी। जिससे भीतर का तापमान भी ठण्डा रहता था। लेकिन अब तो नगर पालिका ने भी अपनी इस जिम्मेदारी से किनारा कर लिया है। प्याऊ यदि खुली है तो महज बजट को ठिकाने लगाने और अपनी जेब भरने का साधन बन गई है। इनका नागरिकों को कोर्ई लाभ नहीं मिल रहा है। 

क्योंकि इन में न तो शुद्ध और न ही शीतल पेयजल नागरिकों को सुलभ हो रहा है। यहां तक कि समाज सेवी संस्थायें भी इस पुनीत कार्य में अपनी ओर से धन खर्र्च करने की बजायें नगर पालिका पर आश्रित हो गई है। 

ये समाजसेवी संस्थायें प्याऊ संचालित करती हैं तो पानी के लिए  नगर पालिका के टेंकर का उपयोग करती हैं और अपनी ओर से कुछ भी खर्च नहीं करती है। समाजसेवा महज उनके लिए अपने नाम को कमाने का माध्यम बन गर्ई है और समाज सेवा में जो हार्दिक भावना होनी चाहिए वह कहीं से कहींं तक भी नजर नहीं आती है। हालांकि इस मामले में पोहरी रोड़ की चौहान प्याऊ अपवाद बनी हुई है। जहां शुद्ध और शीतल जल लोगों को सुलभ हो रहा है।