
कार्यपालन यंत्री न होने से विभाग में नियमों, कायदे और कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अधिकारियों पर ठेकेदारी करने के आरोप लग रहे हैं और बिना विज्ञप्ति प्रकाशन के कामों को टुकड़ों में तोडक़र अपने चहेते ठेकेदारों को दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री सडक़ और सिद्धेश्वर मंदिर जैसे जीर्णोद्धार के कार्य गुणवत्ताविहीन ढंग से किए जा रहे हैं। यहां तक कि विभाग में एसडीओ का पदभार भी कनिष्ठ अधिकारी के पास है।
आरईएस में डेढ़ साल से कार्यपालन यंत्री की नियुक्ति न होने से कनिष्ठ अधिकारियों की मौज बनी हुई है। कोलारस के एसडीओ शेख अब्दुल ईई के चार्ज के साथ-साथ छह माह तक कोलारस एसडीओ का पदभार भी संभाल चुके हैं। बाद में कोलारस एसडीओ का पदभार उन्होंने एक कनिष्ठ यंत्री को सौंप दिया।
उसी तरह से शिवपुरी एसडीओ का पद भी खाली पड़ा है जिस पर एक सब इंजीनियर ने चार्ज संभाल रखा है। नियमित ईई और एसडीओ न होने से विभाग में मनमानी चल रही है। बड़े-बड़े कामों को टुकड़ों में तोडक़र एक लाख 95 हजार रूपये के छोटे-छोटे कामों में तब्दील किया जाता है ताकि विज्ञप्ति प्रकाशन से बचा जाए लेकिन छोटे-छोटे कामों की विज्ञप्ति स्थानीय समाचार पत्रों में नहीं दी जाती है और न ही विभाग के नोटिस बोर्ड पर इसे चस्पा किया जाता है। आरोप है कि ये काम विभाग के अधिकारी अपने चहेते ठेकेदारों को दे देते हैं और उनमें उनकी भागीदारी भी रहती है।