शिव के राज में जेल गई बेवस वृद्व को जेल से मुक्त कराने काग्रेंस हुई सक्रिय


शिवपुरी। शिवराज चाहे प्रदेश के वृद्वो को तीर्थ यात्रा करा रहे हो लेकिन शिव के राज मेें अफसरो ने ाी एक वृद्वा को जेलयात्रा करवा दी है। बताया जा रहा है कि बिजली के बिल न भरने के कारण उक्त वृद्वा को न्यायालय ने 6 माह की सजा सुनाई है। 

यह वृद्वा दो दिन से जेल में कैद गरीब, बेसहारा, वृद्ध और विधवा दलित महिला को जेल से मुक्त कराने के लिए कांग्रेस सक्रिय हो गर्ई है। कांग्रेस के एक दर्जन से अधिक नेताओं ने जेल पहुंचकर वृद्धा को जहां ढांढस बंधाया है वहीं शासन और प्रशासन की कथिन संवेदनहीनता पर सवाल भी खड़े किए हैं। 

कांग्रेस नेताओं के अनुसार बिजली बिल की 57 हजार 487 रूपए की राशि वह जमा करा रहे हैं ताकि जेल की सींखचों में कैद वृद्धा को मुक्ति मिल सके। 

गरीबी अभिशाप होती है और गरीब का इस भरी दुनिया में कोर्ई रखवाला नहीं होता। शासन, प्रशासन और समाजसेवियों की संवेदनशीलता महज कागजों तक सीमित रहती है। 

इसकी नजीर है जिले की कोलारस तहसील के ग्राम रिजौदा की 70 वर्षीय वयोवृद्ध महिला पार्वती जाटव। विकास के कितने ही खोखले दावे किए जायें लेकिन उन दावों को पार्र्वती की कहानी साफ-साफ झुठलाती है। 

पार्वती के परिवार में पति मोतीलाल जाटव के अलावा दो पुत्र भवूता और कल्याण भी थे, लेकिन एक-एक कर पति और पुत्रों ने उसका साथ छोड़ दिया। वेसहारा पार्वती अपने जीवन की गाड़ी स्वयं के बलबूते पर खींचने लगी ऊपर से पुत्र के पुत्र नाती राजू की जि मेदारी भी उसके नाजुक कंधों पर आ गर्ई। कुदरत का कहर देखिए कि 15 दिन पहले उसका दामाद रमेश जाटव भी चल बसा। 

आजीविका चलाने के लिए महज उसके पास 5 बीघा जमीन थी। जिसमें सिंचार्ई का कोई साधन नहीं था। किसी तरह से एक लाख रूपए खर्च कर कुंआ खुदवाने का इंतजाम किया, लेकिन कुदरत की मार देखिए कि पानी नहीं निकला और कर्ज का बोझ उल्टे सिर पर पड़ गया। उसी दौरान सिंचार्ई के लिए विद्युत कनेक्शन 15 मार्च 2012 को विद्युत कनेक्शन लिया। 

जब खाने के लाले हों तो बिजली का बिल कैसे चुकायें। धीरे-धीरे बिजली बिल की राशि बढक़र 57 हजार के आसपास पहुंच गर्ई तो फिर विद्युत विभाग ने कनेक्शन विच्छेद कर दिया। इसके बाद आरोप है कि विद्युत विभाग के कनिष्ठ यंत्री रवि कुमार वोहिते अपनी टीम के साथ जब चैकिंग के लिए गए तो उन्होंने पाया कि विच्छेदित विद्युत कनेक्शन से अवैध रूप से बिजली ली जा रही थी। 

इस पर उन्होंने आरोपी महिला पार्वती जाटव के विरूद्ध विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 138(1)के तहत प्रकरण दर्ज कर चालान न्यायालय में पेश किया। न्यायालय ने आरोपी महिला पार्वती जाटव को 57 हजार 487 रूपए प्रतिकर  सहित अदा करने का आदेश दिया और इस राशि में चूक की अवस्था में उसे 6 माह के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। 

लेकिन इतनी बड़ी राशि जमा कराने की बात तो दूर पार्वती और उसके नाती के पास जमानत कराने की भी व्यवस्था नहीं थी। इस कारण उसे जेल की हवा खानी पड़ी। लेकिन इसेसे यह अवश्य जाहिर हो गया कि सरकारी मशीनरी किस तरह से गरीबों के हित में कार्य कर रही है?