भ्रस्टाचार की नपा में नया घोटाला: नियमों को ताक पर रख 2 घण्टे में दे डाली स्वीकृति

शिवपुरी। शहर में पालिका के अधीन मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास योजना अंतर्गत सडक़ एवं नाली निर्माण का टेंडर जो टेण्डर 13 प्रतिशत कम प्रचलित एसओआर दर पर स्वीकृत किया गया था।

उसे साजिशन निरस्त कर अब वही टेण्डर री-टेण्डरिंग प्रक्रिया कर आज पालिका ने एसओआर से 8 प्रतिशत अधिक दर में स्वीकृत किया जाकर इसके निर्माण मापदण्डों को भी आनन फानन में बदल डाला गया है। और तो और पालिका को जिस काम में सीधे सीधे 21 प्रतिशत अधिक दर से 75 लाख रुपए का अधिक भुगतान करना होगा उसकी दरों की स्वीकृति में इतनी तत्परता बरती गई कि आज ही टेण्डर ओपन हुए और आज ही पीआईसी ने इसकी दरों पर भी स्वीकृति की मोहर जड़ डालीं। जिससे शासन को पौन करोड़ रुपए की वित्तीय क्षति पहुंचने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। 

यह था मामला 
पूर्व में जिस फर्म को 13 प्रतिशत कम दर पर जो टेण्डर स्वीकृत किय गया उसे सीएमओ द्वारा निविदा में प्राप्त दर प्रचलित एसओआर से 10 प्रतिशत कम आने की दशा में प्रतिशत के अंतर की राशि के मान से कुल लागत पर आने वाली अतिरिक्त सुरक्षा निधि के रूप में राशि जमा कराए जाने को पीडब्लूडी एक्ट में वर्णित धाराओं का हवाला देते हुए 10 लाख 80 हजार रुपए की अतिरिक्त राशि जमा कराए जाने के लिए लिखा और तब ही अनुबंध कराए जाने पर जोर दिया। सीएमओ की ओर से पत्र क्रमांक नपाप/ 4386 दिनांक 28.10.2016 ठेकेदार को भेजा गया।

जिसमें 3 करोड़ 60लाख रूपये की प्रस्तुत न्यूनतम दर 13 प्रतिशत कम एसओआर के शेष अंतर की दर से 3 प्रतिशत के मान से 1080000 रूपए एवं सुरक्षा निधि 4 प्रतिशत की राशि रुपए 1440000 रुपए की इस प्रकार से कुल राशि 25 लाख 20 हजार रुपए सात दिवस के अंदर नगर पालिका कोष में जमा कराने की बात फर्म को कही गई जो नियमानुकूल नहीं थी। 

सबंधित फर्म ने सीएमओ को दिनांक 18 नव बर 16 को पालिका द्वारा तय समयावधि के भीतर ही लिखित में अवगत भी कराया कि जो राशि जमा कराए जाने को कहा गया है उसका निर्धारण लोनिवि एक्ट के प्रतिकूल है नियम की प्रति भी संलग्न की गई मगर पालिका ने उस पर भी गौर नहीं किया। 

ठेकेदार ने 13 प्रतिशत कम दर पर काम करने में निरन्तर सहमति जताई और नियम का हवाला देते हुए राशि के शीघ्र नियमानुकूल निर्धारण आग्रह किया मगर इसे बार वार अनदेखा कर दिया गया। पालिका जानबूझ कर 
अनुबंध के पक्ष में नहीं थी।  

सबंधित फर्म ने 18नव बर, 28 नव बर और 29 नव बर को भी इस वावत पत्राचार कर राशि के दुरुस्तीकरण पर जोर दिया मगर पालिका सारे पत्रों को न केवल दबा गई बल्कि कलेक्टर को भी गुमराह कर दिया गया। 1 दिस बर 16 को पीआईसी के संकल्प क्रमांक 877 दिनांक 28 नव बर का हवाला देते निविदा एक पक्षीय ढंग से निरस्त कर दी गई। 

लोनिवि एक्ट के विपरीत मांगी पालिका ने रकम
लोनिवि एक्ट के लोक निर्माण विभाग मंत्रालय के 2 मई 2016 को जारी आदेश क्रमांक एफ 53/02/2011/यो/19/5788 दिनांक 25 अक्टूवर 11 द्वारा स्पष्टï लेख किया गया है कि निविदाओं की अव्यवहारिक दरों को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से ऐसी निविदाऐं जिनमें निविदा दर एसओआर से 10 प्रतिशत कम से भी कम आती है , उनमें अनुबंध से पूर्व सफ ल ठेकेदार से एसओआर से 10 प्रतिशत कम से अधिक कमी के निविदा प्रतिशत के अन्तर की अतिरिक्त परफ ारमेंस गारंटी लिए जाने हेतु मार्गदर्शी सिद्धांत जारी किए हैं, में राज्य शासन एतद द्वारा आंशिक संशोधन करते हुए 10 प्रतिशत के स्थान पर 15 प्रतिशत प्रतिस्थापित किया गया है। 

इस नियम के तहत एसओआर से 15 प्रतिशत कम दर आने पर भी किसी सफल ठेकेदार से अतिरिक्त परफारमेंस गारेटी जमा नहीं कराए जाने की छूट दी गई है, मगर यहां पालिका और पीआईसी ने इसी एक्ट का हवाला देकर 13 प्रतिशत ब्लो का टेण्डर साजिशन जबरन 10 लाख 80 हजार जमा न कराए जाने पर निरस्त कर वित्तीय अनियमितता को न्यौत डाला। 

ऐसा नहीं कि ये पत्र टेण्डर प्रक्रिया के बाद जारी हुआ हो यहां टेण्डर अगस्त में हुए जबकि लोनिवि एक्ट में यह संशोधन मई माह में ही हो गया था। 

कौन भेरगा 75 लाख का अन्तर
आज सडक़ों का 8 प्रतिशत अधिक दर पर जो टेण्डर स्वीकृत किया गया उसमें आने वाली निर्माण के अन्तर की राशि करीब 75 लाख में है जिसकी भरपाई क्या वे अधिकारी करेंगे जो इस खेल के पृष्ठ में हैं। और तो और पूर्व ठेकेदार ने 1 दिस बर को ही अपील समिति में यह मामला ले जाए जाने के लिए पालिका को पत्र दिया मगर इस पर पालिका का हास्यास्पद तर्क यह है कि पीआईसी के निर्णय के विरुद्घ अपील समिति सुसनवाई ही नहीं कर सकती जबकि व्हीआर टावर के मामले में ऐसा पहले हो चुका है।