
बताया जा रहा है कि जब इस कार्यक्रम की टिकिटों को खरीददार नहीं मिल रहे तो प्रशासनिक मशीनरी ने हसी का पात्र बनने से बचने के लिए अपने-अपने अधीनस्थों को टिकिट खरीदने का आदेश भी दे डाला। अब अपने आका के हुक्म का पालन करतेे हुए बेचारे अधिकारी और कर्मचारीयों ने टिकिट खरीदकर इस कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाने का प्रयास किया।
सूत्रों की माने तो बताया यह भी गया है इस पूरे लॉफ शो की शोभा बढ़ाने के लिए तहसील कार्यालय में पटवारीयों जबरदस्ती व्यापारीयों को टिकिट खरीदनें की कहा गया। जिसपर दबे-छुपे व्यापारीयों ने पटवारीयों के कहने पर टिकिट खरीदें।
टिकिट लेकर पछताते रहे दर्शक
इस कार्यक्रम को टूरिस्ट विलेज में आयोजन को लेकर उत्साहित शहर के गिने चुने दर्शक इस कार्यक्रम के बीच पहुॅचकर अपने आप को ठगा सा महसूस करने लगे। इस गरिमामय कार्यक्रम में लजीज व्यजंनों की कहकर ललचाये दर्शकों को उस समय निराशा से सामना करना पढ़ा जब इस कार्यक्रम में उन्हें व्यजंन पसंद नहीं आये। इसके चलते कई दर्शकों ने तो पछताते हुए कहा कि इससे अच्छा तो हम सपरिवार कहीं किसी होटल में चले जाते तो बेहरत हो।
इस कारण रहा असफल
बताया गया है कि इस समय से शिवपुरी की सडक़े गायब है और खासकर टूरिस्ट विलेज होटल की ओर जाने वाली सडके खुदी पडी है। इसमें प्रवेश शुल्क 5 सौ रूपए रखा गया था इस कारण शहर वासियो ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाकर रखी। इस कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार भी नही किया गया था। मीडिय़ा को जारी प्रेस नोटो में इस कार्यक्रम में आने वाले कलाकारो की विशेषताए तक नहीं बताई गई थी। इस कारण यह कार्यक्रम सुपर लॉप शो साबित रहा।
एक भी बाहर का पर्यटक नही, सत्ताधारी दल भी गायब
शरद उत्सव में बाहर का एक भी टूरिस्ट नहीं था। यहां तक कि सत्ताधारी दल भाजपा से जुड़े किसी भी जनप्रतिनिधि की उपस्थिति नहीं दिखी। इसका कारण 5 सौ रूपए का टिकिट बताया जा रहा है। भाजपाई सोचते रहे कि शायद प्रशासन उन्हें पास उपलब्ध कराएगा।
पर्यटक विकास निगम ने समय चयन किया गलत
इन दिनों शिवपुरी को पर्र्यटन मानचित्र पर लाने के लिए पहल की जा रही है। इसी कड़ी में शरद उत्सव का आयोजन भी शामिल है। लेकिन सवाल यह है कि इन दिनों शिवपुरी की जैसी दुर्दशा चल रही है। उस संदर्भ में पर्यटन मानचित्र पर शिवपुरी को लाने की पहल पर सवाल अवश्य खड़े हो रहे हैं। ऐसी नगरी में कौन पर्यटक आएगा जहां के नागरिक खुद परेशान बने हुए हैं।
प्रशासनिक अधिकाारियों ने भी माना कि पहले शरद उत्सव में उपस्थिति अपेक्षा कृत कम रही और इसमें मु य कारण शरदोत्सव के गरिमापूर्र्ण कार्र्यक्रम में शामिल होने के लिए 500 रूपए का शुल्क था। जनप्रतिनिधियों के शरदोत्सव में शामिल न होने से यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ कि भोपाल स्तर पर कैसे शिवपुरी को पर्यटक केन्द्र के रूप में स्थापित होने में पहल की जाएगी।