
इस खबर को इस कारण भी बल मिलता है कि अकेले बैराड में 15 करोड की काली करेंसी को सफेद करने की शिकायत हुई है। इसमें शिकायत कर्ता तो गुमनाम है परन्तु काले से सफेद करने के नाम अवश्य है बैराड पुलिस ने इस शिकायत पर जांच शुरू कर दी है।
नोटबंदी के फार्मूले में पेट्रोल पंपो सहित कही जगह पर बंद किए 1 हजार और 5 सौ के नोट चलने पर ढील दी गई थी। बताया जा रहा है कि शिवुपरी जिले के पेट्रोल पंपो ने ही 100 करोड रूपए काले से सफेद करने में मदद की है।
जिले में ऐसे कई पंप है जिनकी 4 लाख प्रतिदिन की सेल है। इन पेट्रोल पंपो पर इस नोटबंदी के समय में सभी तरह की करेंसी आ रही थी लेकिन इन पंपो के अकाउंटो में केवल बंद किए गए नोट ही जमा हुए है।
बताया जा रहा है कि शहर मे चलने वाले पेट्रोल पंपो में 4 पेट्रोल पंपो के मालिक जो जमीनों के कारोबार से जुडे हैं और अपना डंडाबैंक भी चलाते हैं। इनमे से स्वास्थ्य से जुडे महाशय का नाम सबसे ऊपर लिया जा रहा है। इन सभी पेट्रोल पंपो से ही उनका करोड़ों रू का कालाधन सफेद हुआ है।
शहर के सभी पेट्रोल पंपो पर नोटबंदी की घोषणा के बाद सभी तरह की करेंसी आई है लेकिन पंप मालिको ने 100 और 50 रू के नोट बैंको में जमा नहीं कराए। उन्होंने अपनी फर्माे के करेंट अकाउंटो में केवल 1000 और 5 सौ के ही नोट जमा कराए है। बाकी 100 और 50 के नोट दबा लिया।
चूंकि अभी मार्केट में 2 हजार का नोट आया है। बाजार में छोटे नोटो की शोर्टज बनी हुई है। इसका भी फायदा उठाया जा रहा है। अब यह छोटे नोट 2000 के गुलाबी नोटो में बदले जा रहे है और तिजारियों में भरे जा रहे है।
जानकारों को कहना है कि नोटबंदी में मिली इस ढील में 100 करोड़ रूपए का काला धन सफेद बड़ी ही आसानी से कर लिया गया है। जिसको पकडना ईडी और आईटी के लिए मुश्किल है। केवल पेट्रोल पंपो की फर्मो के बैंक एकाउंटो में जमा की गई स्लीप ही इस बडे घोटाले को उजागर कर सकती है। अब देखना यह है कि क्या पेट्रोल पंपों के खातों की जांच आयकर विभाग द्वारा की जा जाती है।