सहरिया क्रांति से आदिवासियों में बदलाब देख दंग रह गए अधिकारी

शिवपुरी। सहरिया क्रांति के व्यसन मुक्ति अभियान ने आदिवासी अंचल में जोर पकड़ रखा है। सैंकड़ों गाँवों के आदिवासियों ने व्यसन से मुक्ति के संकल्प को लेकर उनसे दूरी बनाना प्रार भ कर दिया है।

आज शिवपुरी से 23 किमी दूरी पर स्थित खुटैला ग्राम में आयोजित सहरिया क्रांति की सहरिया चौपाल में आदिवासियों ने विभिन्न व्यसनों से मुक्ति के साथ साथ अपने हक, अधिकार व जमीन वापस लेने का संकल्प लिया। शिवपुरी के विकासखण्ड के खुटैला ग्राम में आदिवासी बस्ती इस कदर जगमगा रही थी कि उसमें ढूंढऩे पर भी कचरा नहीं मिल रहा था और न ही कोई भी आदिवासी गंदे कपड़ों में था। 

यह दृश्य सहरिया क्रांति की चौपाल में नजर आया, वहां मौजूद सरकारी अमला भी आश्चर्यचकित हो गया। खुटैला ग्राम के आदिवासी चौपाल में कार्यक्रम के आर भ में सहरिया क्रांति ग्राम मुखिया ने ग्राम की बुजुर्ग महिलाओं व समाज के शिक्षित जनों का स मान किया।

चौपाल में अपने विचार रखते हुए आदिवासी सरपंच ऊधम आदिवासी ने कहा कि सहरिया समाज अब तक शोषण, दमन और अत्याचार के शिकंजे में जकड़ा हुआ था, कोई भी हम आदिवासियों के उद्धार के लिए सच्ची भावना लेकर हमारे बीच नहीं आया लेकिन सहरिया क्रांति आंदोलन से जुड़े, पहली बार आदिवासियों को अपनापन मिला है और अब हमारा समाज भी व्यसनों से मुक्त होकर अन्य समाजों में शामिल होने जा रहा है। 

युवा सहरिया सैनिक कल्याण आदिवासी ने आदिवासी समाज से अपील की कि वो नशा, मृत्युभोज, जुआ, झाडफृूंक आदि से दूरी बनाकर अपने समाज को आगे बढ़ायें व अपने हक अधिकार प्राप्त करने एकजुट होकर अनाचार व अत्याचार के विरुद्घ मोर्चा खोलें। सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन ने इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए कहा कि अब तक दबंग और बाहुबलियों की शोषणकारी नीतियों का शिकार हो रहे सहरिया समाज के लोग बदलाव की राह पर चलने लगे हैं। 

वे सहरिया क्रांति आंदोलन से जुडकर गर्व का अनुभव तो कर ही रहे हैं साथ ही दलाल और साहूकारों के चंगुल से मुक्त हो रहे हैं। इस बात की खुशी है कि सहरिया क्रांति के साथ अब 500 से ज्यादा गाँव जुड़ चुके हैं जो अब विकास की नई इबारत लिखने की राह पर हैं। सहरिया चौपाल में उपस्थित अन्य सहरिया वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे। 

जिला क्षय नियंत्रक अधिकारी आशीष व्यास ने चौपाल में स्वास्थ्य नियमों के बारें सहरिया समाज को विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम के अगले चरण में पूरे गाँव के आदिवासियों ने संकल्प लिया कि आज से गाँव में तांत्रिकों व ओझाओं के चक्कर में न फंसकर चिकित्सालय जाकर इलाज कराने को प्राथमिकता देखें तथा नशाखोरी, जुआ व अन्य व्यसनों का परित्याग भी करेंगे। विदित हो कि यह गाँव पूर्व में सहरिया क्रांति से जुडकर मृत्यु भोज का परित्याग भी कर चुका है। 

आदिवासियों की 90 प्रतिशत जमीनों पर है दबंगों का कब्जा
सहरिया चौपाल में यह बात सामने आई कि खुटैला ग्राम के आदिवासियों के 90 प्रतिशत भूमि पर दबंग समुदायों का कब्जा है। कब्जा मुक्ति के लिए आदिवासियों ने अब तक कई आवेदन प्रशासन को सौंपे मगर कोई भी प्रभावी कार्यवाही प्रशासन ने अब तक नहीं की जिससे उनको उनकी ही भूमि पर मजदूर बनकर कार्य करना पड़ रहा है। 

समाज ने तय किया है कि भूमि मुक्ति के लिए जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर समय सीमा मांगी जाएगी और अगर इसके बाद भी आदिवासियों की जमीनों से दबंगों के कब्जे नहीं हटवाए गए तो जिला मु यालय व स भागीय मु यालय पर सहरिया समाज बड़ा प्रदर्शन कर आंदोलन करेगा।