नोटबंदी: बैंको में केश के टोटे और खेतो में फसलो के

शिवपुरी। कालेधन की वापसी के लिए मोदी सरकार का नोटबंदी के फैसले से शिवपुरी के बाजार से सूने हो गए है। शिवपुरी कभी भी एक कतार नही रही लेकिन नोटबंदी में शिवपुरी बैंको की कतार में है और किसान के खेतो में फसलो के टोटे स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। 

जैसा कि विदित है कि सरकार ने कालेधन के चक्कर में नोटबंदी का ऐलान किया है इसका सबसे ज्यादा असर किसानो के खेतो में देखा जा रहा है। सरकार नए नोटो को जरूरत को पूरा नही कर पर रही है। बैंको में केश के टोटे चल रहे है। जिससे आम जनो को कतार लगातार बढ रही है। किसानो को रबी की बोबनी करनी है। उस पर नई करैंसी नही है। इस कारण खेतो में भी फसलो की टोटे हो गए है। 

अभी तक जो आकडे सामने आए है उसके कारण रबी की सीजन की फसलो की आधी बुहाई नही हो सकी है। किसानो के पास नई करेंसी न होने के कारण उन्है बीज खाद नही मिल पर रहा है। सरकार ने हालाकि बीज-भात के लिए बदं हुए नोट चलाने का ऐलान किया है लेकिन इस आदेश का धरातल पर पालन नही हो रहा है। 

इस मामले में अपने राम का कहना है कि अभी तक आम आदमी इस नोटबंदी को झेल कर मोदी की तारिफ कर रहा है। लेकिन परेशानी कम नही हो रही है बल्कि बढकर रही है। अब  इस नोटबंदी के फैसले के खिलाफ बोलने लगा है और इस नोटबंदी में सबसे ज्यादा शिवपुरी कि किसानो को हुआ है। उनकी बोबनी समय पर नही हो पा रही है। खरीफ की फसल मंडी पर आराम कर रही है वह बिक नही रही है। इस कारण रबी की फसल की बोबनी नही हो पा रही है।  अगर उसके खेतो में फसलो के टोटे हो गए तो वह भूखाा रह कर मोदी सरकार को जमकर कोसने से नही चूकेगा। तो यह मोदी सरकार के लिए सकेंत सही नही होंगें।