
प्रदेश का न बर वन अस्पताल संवेदनशीलता में शून्य से भी कम रेंक पर है। डॉक्टरों की असंवेदनशीलता का यह उदाहरण सारी हदें पार कर गया है। जिन्होंने शरीर से लाचार एक युवक का उपचार न कर उसे बिना उपचार किए ही अस्पताल से भगा दिया। जो पिछले 15 दिनों से पुरानी शिवपुरी के सुभाष मार्केट पर बने चबूतरे पर अपना जीवन यापन कर रहा है।
उक्त युवक की कमर की हड्डी टूट गर्ई है। जिससे वह न तो उठ पाता है और न ही बैठ पाता है। उसकी देख रेख के लिए उसके माता-पिता भी इस संसार में नहीं है। एक भार्ई है जो चाय की दुकान पर काम कर अपना पेट पाल रहा है। उसके पास न तो घर है और न ही इतने रूपए की अपने भाई का इलाज करा सके। जिस कारण वहां के रहवासियों ने युवक के खाने पीने की व्यवस्था कर दी है, लेकिन इलाज के लिए न कोई समाजसेवी और न कोर्ई संस्था आगे आ रही हैै।
जानकारी के अनुसार मनीष धानुक पुत्र धनीराम धानुक उम्र 18 वर्र्ष नीलगर चौैराहे पर एक ठेले पर काम करके अपना गुजारा करता था। वहीं उसका छोटा भार्ई 14 न बर कोठी पर गोपाल चाय वाले के यहां काम कर रहा है। पीडि़त मनीष ने बताया कि मोहर्र्रम के दिन वह ठेले पर काम करने के बाद सुभाष मार्र्केट पर एक दुकान की छत पर सो गया रात्रि में उसकी आंखों में किसी ने मिर्ची डाल दी।
जब सुबह वह उठा तो उसकी आंखों में जलन होने लगी और वह आंख मलते हुए छत से उतरने लगा तभी वह छत से नीचे नाली में जा गिरा और इस घटना में उसकी कमर की हड्डी फेक्चर हो गर्ई। जिसे आसपास के लोग अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टरों ने उसे भर्ती तो कर लिया, लेकिन उसकी देखरेख के लिए कोई न होने के कारण उसका इलाज नहीं किया।
मनीष का आरोप है कि इस दौरान डॉ. एएल शर्मा ने उसे देखा लेकिन उसके पास ऑपरेशन के रूपए न होने के कारण डॉक्टर ने उसका इलाज नहीं किया और वह 15 दिन तक हॉस्पीटल में पड़ा रहा। बाद में डॉक्टरों ने उसे वहां से भगा दिया। जैसे-तैसे अपने भार्ई की मदद से वह नीलगर चौराहा पहुंचा जहां उसे घर न होने के कारण दुकान के आगे बने चबूतरे पर विस्तर लगाकर लिटा दिया।
जहां वह पिछले 15 दिनों से लावारिस की तरह पड़ा है। उसके आसपास कुत्ते और अन्य जानवर बैठे रहते हैं। जिससे उसे अन्य संक्रामक बीमारियां भी लग रही है। आसपास के लोग अवश्य उसे खाने पीने की वस्तुयें दे रहे हैं। जिससे वह अभी तक जीवित है।