
सीवेज खुदाई के कारण शहर की सड़कों पर वाहन चलाना तो दूर पैदल चलना दुश्वार हो रहा है। पानी के निकास की समुचित व्यवस्था न होने के कारण कॉलोनियों तालाब में तब्दील होती हुई नजर आती हैं। गत दोपहर से हो रही लगातार जोरदार बारिश से शहर जलमग्न हो गया है। जहां देखो वहां पानी ही पानी नजर आने लगा है।
उल्लेखनीय है कि शहर में पिछले तीन वर्षो से अल्प बारिश के हालात बने हुए थे। लोगों को सर्दी के मौसम में भी पीने के पानी कि किल्लत का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन इस वर्ष मानसून से माह जून से ही अपनी अच्छी आमद दर्ज कराते हुए पिछले कई सालों के रिकार्ड तोड़ते हुए जुलाई माह में ही औसत बारिश का 70 प्रतिशत बारसात होने का आंकड़ा दर्ज करा दिया है।
पिछले कई वर्षो से लगातार एक सप्ताह बारिश देखने को नहीं मिली थी, लेकिन इस वर्ष लगातार 11 दिन बरसात होने का रिकार्ड दर्ज किया गया है।
सडक़ों पर धसकते वाहनों से दुर्घटनाओं की बड़ी संभावना
सीवेज खुदाई के कारण शहर की लगभग सभी सडक़ें जर्जर हालत में हैं। प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी के कारण खुदाई के बाद सडक़ों को ठीक नहीं किया गया। नतीजा बारसात के इन दिनों में नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
शहर की प्रमुख सडक़ पोहरी से गुरूद्वारा रोड़, फतेहपुर टोंगरा रोड़, नवाब साहब रोड़, टीव्ही टावर रोड़, छत्री रोड़, सर्किट हाउस रोड़, गांधी कॉलोनी आदि प्रमुख सडक़ों के अलावा कॉलोनी, मोहल्लों के पहुंच मार्ग की हालत खस्ता बनी हुई है। इन मार्गों पर धसकते हुए वाहनों से आए दिन दुर्घटनायें घटित होने का अंदेशा बना हुआ है। वहीं फंसे हुए वाहनों को निकालने में भारी मसक्कत करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
गली मोहल्लों में एवं घरों में भरा पानी
बरसात के पानी को शहर से वाहर निकालने के लिए नगर पालिका प्रशासन द्वारा उचित प्रबंधन समय रहते नहीं अपनाने के कारण इन दिनों शहर की प्रत्येक कॉलोनी एवं मोहल्लों में बारसात के पानी जमा होने से तालाब के हालात निर्मित हो गए हैं।
कई घरों में पानी प्रवेश कर जाने से उन्हें काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है। निचली बस्तियों के हालात और भी ज्यादा खराब बने हुए हैं, लेकिन इसके बाद भी नपा प्रशासन पानी निकासी का कोई कार्य नहीं कर रहा है। जिसके एक नहीं अनेकों उदाहरण शहर में बरसात के समय देखने प्रतित हो रहे हैं।
ऊफान पर आए नाले
महाराजा माधौराव ने शहर के पानी को बाहर ले जाने के लिए योजना बद्ध तरीके से कई नालों का निर्माण कराया गया था लेकिन प्रशासन की घोर लारवाही के कारण इन नालों पर अतिक्रमण हो गए। कई छोटे-छोटे नालों का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया गया। विष्णु मंदिर जैसा नाला, जिसके चश्मदीद आज जिंदा हैं, नक्शे से ही गायब हो गया। वहीं शहर के बड़े प्रमुख नाले भी सिकुड़ते चले गए।
जिसके कारण जिस गति से बरसात के पानी को शहर से बाहर निकलना चाहिए था वह नहीं निकल पा रहा। नतीजा शहर की गली, मोहल्ले तालाब में तब्दील हो रहे हैं। इसी का कारण है कि नाले उफनते हुए दिखाई दे रहे हैं।