गरीब आदिवासी के शव के लिए वाहन नही उपलब्ध करवा सकी समाजसेवी संस्थाए,आगे आए राकेश

शिवपुरी। आदिवासियों के प्रति शासन, प्रशासन और आमजन कितना असंवेदनशील है इसकी नजीर आज पीएम हाउस के सामने देखने को मिली। कल रात से अपने पति के शव का पीएम का इंतजार कर रही अनारी और उसकी माँ सुन्दर की दशा देखने लायक थी। रो-रो कर उनकी आंख के आंसू सूख गए थे, लेकिन उनकी किसी ने सुध नहीं ली। 

अस्पताल अधीक्षक और रेडक्रॉस ने आदिवासी के शव को उसके गांव ईसागढ़ तक ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था करने से हाथ खड़े कर दिए। बाद में मंगलम के संचालक राकेश गुप्ता ने अपनी तरफ से मृतक आदिवासी मदन के शव को ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था कराई। हुआ यह कि ईसागढ़ का रहने वाला मदन आदिवासी रोजगार की तलाश में अपनी पत्नि अनारी और तीन छोटे-छोटे दुधमुंहे बच्चों को लेकर ससुराल कोलारस में आकर रहने लगा था। 

कोलारस से वह ईसागढ़ खेतों में मजदूरी करने परिवार सहित चला गया था। उसकी पत्नि अनारी और सास सुन्दर ने रोते हुए बताया कि कल रात शराब पीकर मदन जब रेल पटरी पर तफरीह कर रहा था उसी दौरान रेल के नीचे आ जाने से उसकी मौत हो गई। किसी ने कोलारस में रह रही अनारी को इसकी सूचना दी और मदन के शव को लेकर पुलिस कल रात शिवपुरी आ गई। शिवपुरी में मृतक मदन के अलावा उसकी पत्नि और सास थी। 

लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह मृतक के शव को लेकर उसके गांव जा सके। दोपहर 12 बजे तक मदन का पीएम भी नहीं किया गया। बताया जाता है कि कुछ लोगों ने मदन के शव को ले जाने के लिए वाहन हेतु अस्पताल अधीक्षक तथा रेडक्रॉस के अधिकारियों से बातचीत की, लेकिन उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। बाद में राकेश गुप्ता ने वाहन की व्यवस्था कराकर शव रवाना किया। यह वाक्या उस समय हुआ जब ईसागढ़ के प्रभारी मंत्री जयभान सिंह पवैया शिवपुरी में ही थे।