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जानकारी के अनुसार शिवपुरी की कलेक्ट्रेट में स्थित सरकारी कार्यालयो में शिक्षा विभाग से रिटायर्ट हुए एक कर्मचारी को चलता फिरता शिवपुरी का मुस्द्दीलाल बना दिया है। यह कर्मचारी अपने भुगतानों के लिए पूरे 19 साल से भटक रहा है। इन 19 साल के 6935 दिन भले ही वह कलेक्ट्रेट नही आया हो परन्तु वह इतना परेशान जरूर हो चुका है कि उसे दिन में सोते हुए कलेक्ट्रेट जरूर दिखता होगा और यह उसके लिए किसी बुरे सपने से कम नही होगा।
जिले में शिक्षा विभाग के सेवानिवृत्त गणक सुरेन्द्रनाथ मिश्रा जब अपने स्वत्वों के भुगतान हेतु कलेक्टर को आवेदक दिया और उसने अपने आवेदन में कहा कि जनसुनवाई में वह अनेक बार आवेदन दे चुका है। पहली बार जब उसने आवेदन दिया था तब कलेक्टर ने शिक्षा अधिकारी को उनका आवेदन मार्क किया था।
शिक्षा अधिकारी ने अपने जवाब में कहा था कि समस्त स्वत्वों का भुगतान कर दिया गया है। अब कोई भी स्वत्व निराकरण के लिए शेष नहीं है। जबकि आवेदक ने इससे इन्कार किया और उन्होंने 12 जुलाई को जनसुनवाई में फिर आवेदन दिया। इस पर एसडीएम ने उनसे कहा कि यदि वह शिक्षा अधिाकरी के जवाब से संतुष्ट नहीं है तो न्यायालय में जायें।
लेकिन आवेदक ने अपने आवेदन पर जोर दिया तो कलेक्टर ने निराकरण और जांच के लिए जिला पेंशन अधिकारी को अधिकृत किया, लेकिन उनके पास मामला न भेजते हुए आवेदक की शिकायत को जिला शिक्षा अधिकारी के पास ही भेज दिया गया। आवेदक का कहना है कि इस मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया।
कुल मिलाकर कहने का मतलब है कि ऐसे शहर के कई मुस्द्दीलाल हाथ में आवेदन लेकर हर जनसुनवाई में कलेक्ट्रेट में दिखते है। जो अपने काम के लिए ऑफिस-ऑफिस चक्कर लगाते रहते है। परन्तु इनकी कोई सुनवाई नही होती है।
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