ई-लाईब्रेरी: 5 माह से नही खुला है ताला, खत्म होने के कगार पर है

शिवपुरी। जिले के  सबसे पुरानी और सर्व सुविधा युक्त ई लाईब्रेरी आज अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा रही है। जहां पिछले पांच माह से अधिकारियों की लापरवाही के कारण ताला नहीं खुला है। ऐसी स्थिति में वहां के नियमित सदस्य  परेशान हो रहे हैं और उन्होंने लाईब्रेरी से नाता तोडऩा शुरू कर दिया हैं। लाईब्रेरी में हर माह किताबें तो पहुंच रही है। 

लेकिन वहां कोई ग्रंथपाल न होने के कारण किताबों का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है। पांच माह पहले ग्रंथ पाल महेशचन्द्र शर्मा की सेवानिवृत्ति के बाद से ही ई लाईब्रेरी का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर हैं। कलेक्टर से लेेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक ने लाईब्रेरी से मुंह मोड़ रखा है जिस कारण लाइब्रेरी की दुर्गती हो रही है। 

वर्ष 2002 में तत्कालीन कलेक्टर बीएल कांताराव द्वारा माधव चौक स्कूल में संचालित लाईब्रेरी को इस उद्देश्य से कोतवाली रोड़ पर स्थित एक नवीन इमारत में स्थानांतरित किया था कि उक्त लाईब्रेरी क प्यूटरीकृत किया जा सके और इसका लाभ आम नागरिकों को मिल सके। इस उद्देश्य से वहां क प्यूटर भी स्थापित किए गए।

 लेकिन बदकिस्मती यह है कि आज यह ई लाईब्रेरी जर्जर अवस्था में पहुंच गई है। पिछले पांच माह से वहां कोई ग्रंथपाल नहीं है। शिक्षा विभाग द्वारा  एक बाबू एसएस जादौन वहां पदस्थ किया गया है। लेकिन कोई ग्रंथपाल न होने और पूर्व ग्रंथपाल द्वारा श्री जादौन को चार्ज न दिए जाने के कारण लाईब्रेरी का पांच माह से ताला नहीं खुला है।

 ऐसी स्थिति में लाइब्रेरी के लगभग 40 सक्रिय सदस्य प्रति वर्ष 360  रूपए की राशि जमा कर सदस्य बने हैं वह परेशान हो रहे हैं। यहां तक की धीरे-धीरे सदस्यों का लाईब्रेरी से मोह भंग होता जा रहा है। 

धूल खा रहे हैं ग्रंथ और उपन्यास 
शिवपुरी शहर की सबसे पुरानी लाईब्रेरी देख रेख के अभाव में जर्जर अवस्था में पहुंच गई है। वहीं कोई ग्रंथपाल न होने से वहां हर माह आने वाली पुस्तकें सदस्यों तक न पहुंचते हुए धूल खा रही हैं जिससे शासन के बजट को चूना लग रहा है। 

जबकि यहां पर तीन कर्मचारी वर्तमान में पदस्थ हैं लेकिन वह अपनी मजबूरी बताते हैं कि उन्हें किसी ने चार्ज नहीं दिया है ऐसी स्थिति में बिना चार्ज के वह लाईब्रेरी का ताला तक नहीं खोल सकते हैं लेकिन वह प्रतिदिन लाईब्रेरी के प्रांगण में बैठकर अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे हैं। लाईब्रेरी में पदस्थ एक कर्मचारी का कहना है कि लाईब्रेरी में सदस्य पुस्तकें तो नहीं पढ़ पा रहे हैं लेकिन समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं को सदस्यों को पढऩे के लिए दिए जा रहे हैं।  

14 वर्ष में भी नही हो सकी पुस्तकों की फीडिंग 
वर्ष 2002 में कोतवाली रोड़ पर ई लाईब्रेरी की स्थापना की गई थी जहां लाईब्रेरी को आधुनिक बनाने के लिए क प्यूटर सेट उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन 14 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक क प्यूटरों में पुस्तकों की फीडिंग नहीं हो सकी। यहां तक की क प्यूटर न चलने के कारण धरे ही धरे खराब हो गए। इसके बाबजूद भी इस ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। 
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