मडीखेडा डेम के गेट खोलने में पानी 2 मीटर शेष, परन्तु बिजली बनना शुरू

शिवुपरी। अब शहर को इंतजार है कि कब मडीखेडा डेम पूरा भर जाए और उसके गेट खुल जाए। इसी आस में शहर वासी प्रार्थना भी कर रहे है लेकिन अभी गेट खुलने के लिए डेम में 2 मीटर पानी कम है। जल्द ही डेम अपनी का पानी 2 मीटर ऊचाई ओर पा लेगा, परन्तु डेम से यह एक अच्छी खबर यह आ रही है कि डेम अभी तक 343.65 मीटर तक भर चुका है इस कारण कल रविवार से बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया है। पिछले वर्ष यह उत्पादन अगस्त से किया गया था। 

इस बार शानदार बारिश होने से  पिछले वर्ष की तुलना में इस बार एक माह पहले ही यहां स्थापित 20-20 मेगावॉट के तीनों टरबाइन से 9-9 घंटे बिजली का उत्पादन किया जा रहा है और यहां से यह बिजली जबलपुर ग्रिड को भेजी जाने लगी है।जहां से प्रदेश के विभिन्न भागों में बिजली आपूर्ति की जाती है अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में भी यदि सिंध में पानी का बहाव इसी तरह जारी रहा तो इस साल रिकॉर्ड बिजली का उत्पादन इस यूनिट से किया जा सकता है। 

मोहिनी पिकअप वीयर को मिलने लगा पानी 
भले ही फिलहाल डैम का जलस्तर अधिकतम सीमा तक नहीं पहुंचा है, लेकिन बिजली टरबाइन के लिए जो पानी डैम से छोड़ा जा रहा है, वह निचले हिस्से में स्थित मोहिनी पिकअप वीयर तक जा रहा है। अच्छी बारिश होने के साथ यदि लगातार बिजली का उत्पादन जारी रहा तो आने वाले दिनों में पिकअप वीयर के लबालब होने के बाद हरसी डैम में पानी छोड़ा जाएगा, जिससे शिवपुरी के अलावा दतिया, ग्वालियर व भिंड के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा। 

2 मीटर और भरा पानी तो खुल जाएंगे गेट
वर्तमान में बांध का जलस्तर 343.65 मीटर है और पिछले ह ते भर में विदिशा, गुना व अन्य ऊपरी इलाकों में अपेक्षाकृत कम बारिश होने से सिंध में पानी का बहाव भी कम हुआ है इसके अलावा बिजली के लिए पानी छोड़े जाने से जलस्तर 343.65 मीटर के आसपास ही बना हुआ है यदि ऊपरी इलाकों में तेज बारिश हुई और सिंध में बाढ आने पर बांध का स्तर 346 के ऊपर पहुंचते ही गेट खोलने पड़ेगें। 

बांध के आसपास बदहाल सडक़ से पर्यटक मायूस 
बांध व इसके आसपास हरियाली व प्रकृति का नजारा देखने अपेक्षित सं या में पर्यटक नहीं पहुंच पा रहे हैं इसका प्रमुख कारण यह है कि शिवपुरी ग्वालियर हाइवे पर सतनवाड़ा से डैम तक जाने वाली नरवर रोड बेहद बदहाल स्थिति में है टू लेन निर्माण का कार्य अटका हुआ है, जिसके चलते चार पहिया वाहन यहां आसानी से नहीं पहुंच पा रहे।