
प्रमोद भार्गव की यह किताब इस दृष्टि से एक एतिहासिक दस्तावेज के रूप में पेश आई है। यह बात राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष बल्लदेव भाई शर्मा ने 1857 का लोक संग्राम और रानी लक्ष्मीबाई पुस्तक के लोकार्पण समारोह में कही। यह समारोह जीवाजी विवि ग्वालियर के गालव सभागार में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मु य अतिथि एवं जीवाजी विवि के कुलसचिव आनंद मिश्रा ने कहा कि यह एक ऐसी पुस्तक है जो भारतीय गौरव और समृद्धि का बखान अंग्रेज इतिहासकार, नौकरशाह और चश्मदीदों के बयानों से करती है।
इस पुस्तक से पता चलता है कि ब्रिटेन को जितना लाभ उसके उद्योग धंधों से नहीं हुआ, उससे कहीं ज्यादा भारत की लूट से हुआ। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ संध्या भार्गव ने कहा कि पुस्तक में 1857 के लोक संग्राम से जुड़ी पृश्ठभूमि को जिन व्यापक अर्थों में ऐतिहासिक दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किया गया है, उससे यह भ्रांति टूटती है कि यह संग्राम कुछ अपदस्थ सामंतों और और आहत सैनिकों का विद्रोह भर था।
पुस्तक के लेखक प्रमोद भार्गव ने पुस्तक की रचना प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन न्यास के हिंदी संपादक पंकज चतुर्वेदी ने किया। अंत में आभार ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान के अध्यक्ष देव श्रीमाली ने प्रकट किया। इस समारोह में बड़ी सं या में लेखक, पत्रकार, प्राध्यापकों के साथ ग्वालियर एवं शिवपुरी के गणमान नागरिक उपस्थित थे।