अपने सौदर्य की राह देखता भदैयाकुण्ड

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शिवपुरी। कलेक्टर राजीव दुबे के चेतन-अचेतन मन में भदैयाकुण्ड के प्रति आकर्षण रहा है यही कारण है कि शिवपुरी कलेक्टर के रूप में चार्ज लेने के बाद राजीव दुबे यहां स्थित हनुमान जी के मंदिर के दर्शन करने के लिए पहुंचे थे और उन्होंने संध्याकालीन आरती में भी श्रद्धाभावपूर्वक भाग लिया था।

कलेक्टर राजीव दुबे ने यहां मौजूद संत और मंदिर के पुजारी से चर्चा कर भदैयाकुण्ड के जीर्णोद्धार में रूचि दिखाई थी। उनकी रूचि के कारण ही बाद में भदैयाकुण्ड का काफी हद तक कायाकल्प हुआ। साफ सफाई हुई और मछलियों के शिकार पर प्रतिबंध के साथ-साथ सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ी। 

आज फिर भदैयाकुण्ड का सबसे आकर्षक मुख्य कुण्ड अपनी सफाई की आकांक्षा संजोये हुए है। इस कुण्ड में टनों मलबा इस हद तक है कि तैरते हुए कई युवा इसमें फंसकर अपनी जान बचाने से बाल-बाल बचे हैं। बरसात से पूर्व यदि इसकी सफाई नहीं हुई तो थोड़ी सी बारिश में ही यह कुण्ड भर जाएगा और फिर इसके ऊपर स्थित फॉल से छलांग लगाने वाले मलबे के दलदल में फंसकर अपनी जान गंवा सकते हैं। 

इसी कारण बेजुवान भदैयाकुण्ड कलेक्टर राजीव दुबे से अपने अस्तित्व को बचाने की गुहार कर रहा है। शिवपुरी में भदैयाकुण्ड की प्राकृतिक सुंदरता के कारण एक विशिष्ट पहचान है। 

हालांकि इसके जीर्णोद्धार के नाम पर इसकी नैसर्गिकता को खत्म करने का प्रयास भी जाने अनजाने में चला है। आज से 35-40 वर्ष पूर्व भदैयाकुण्ड के ऊपर से जो जल प्रपात नीचे कुण्ड में गिरता था उससे ऐसा लगता था कि पहाडिय़ों में से पानी नीचे आ रहा है, लेकिन उस नेचुरल ब्यूटी को समाप्त कर ऊपर एक कुण्ड का निर्माण कर दिया गया। जल प्रपात जहां नीचे गिरता है वह भदैयाकुण्ड का मु य कुण्ड सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र है। 

पहचान खोता जा रहा है भदैयाकुण्ड का गौमुख 
पर्यटक स्थल भदैयाकुण्ड का गौमुख अब अपनी पहचान खोता जा रहा है। भदैयाकुण्ड में जो फॉल मु य कुण्ड में गिरता है ठीक उसी के नीचे गौमुख बना हुआ है जिसमें चार बनी गायों के मुंह से पर्वतों से निकला जड़ीबूटियों का पानी आता था। 

बताया जाता है कि इस कुण्ड के स्वास्थ्यप्रद पानी को भरकर बोतलों में पैक कर विदेश तक भेजा जाता था। पाचन के लिए यह पानी अमृत सदृश्य था, लेकिन शनै:-शनै: इसकी प्रासांगिकता अब खत्म होती जा रही है। 
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