बिजली कंपनी के खिलाफ ऐतहासिक फैसला: पाढिए आपको भी हो सकता है फायदा

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शिवपुरी। अजय कुमार पुत्र नेमीचंद अग्रवाल निवासी धर्मशाला रोड शिवपुरी ने मप्र मक्षेविविकंलिण भाग-2 बाणगंगा शिवपुरी के खिलाफ एक मामला जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम शिवपुरी में अपने अधिवक्ता शैलेन्द्र समाधिया के मार्फत दाखिल किया था। 

इस प्रकरण में पैसे जमा करने के बावजूद भी बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड ने अजय कुमार को बिजली कनेक्शन आबंटित करने से इंकार कर दिया था।  

बिजली कंपनी की ओर से जबाव में आवेदक के आवेदन में उसके पिताजी के नाम से दस्तावेज हैं इसलिए बिजली कनेक्शन प्राप्त करने के आवेदन के साथ कनेक्शन देने हेतु पिता का सहमति पत्र स्टांप पर नोटरी कराकर दिया जाना आवश्यक है। 

चूंकि आवेदक द्वारा सहमति पत्र नहीं दिया गया है इसलिए बिजली कंपनी द्वारा आवेदक को बिजली कनेक्शन नहीं दिया गया है। ऐसी दशा में आवेदक द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र निरस्त किए जाने योग्य है। 

आवेदक की ओर से अपने पक्ष, प्रमाण और स्वयं के शपथ पत्र के अतिरिक्त अनावेदक द्वारा 2150 रूपए की वह रसीद जो बिजली विभाग को नवीन कनेक्शन देने हेतु कटवाई गई थी, इन सभी कागजो के साथ दिनांक 26 नबंवर 2013 का परिवाद प्रस्तुत किया गया। 

परिवादी के अधिवक्ता की दलीले सुनने के बाद अदालत ने यह माना कि वर्तमान समय में विद्युत सेवा मूलभूत सुविधा की कोटी में आती है जिसे प्राप्त करना प्रत्येक नागरिक का अधिकार है और इसी को ध्यान में रखते हुए अदालत ने बिजली कंपनी की सेवा में कमी को माना। 

अत: अदालत ने यह आदेश दिए कि कंपनी 8 दिवस की अवधि में आवेदक को कनेक्शन आवंटित करे अन्यथा 10 हजार रुपए प्रतिकर के रूप में आवेदक प्राप्त करने का अधिकारी होगा साथ ही सेवा में कमी से आवेदक को हुई क्षति के प्रतिकर स्वरूप अनावेदक दो माह की अवधि में परिवादी के पांच हजार रुपए प्रतिकर के रूप में अदा करेगा। 

इनका कहना है
हमने माननीय न्यायालय में न्याय संगत आधार व कारण रखे, जिन्हें माननीय न्यायालय ने विधि संगत मानते हुए हमारी दलीलों को स्वीकार किया और इस तरह का एतिहासिक फैसला दिया। 
शैलेन्द्र समाधिया
अभिभाषक, शिवपुरी
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