
आर्य समाज मंदिर में वेदकथा वाचक दीदी अंजली आर्या ने पर्यावरण संरक्षण और जीवन का कल्याण करने वाला मार्ग यज्ञ को बताया। उन्होंने कहा कि इस धरती को जलवायु, वायु, पानी, वातावरण को दूषित कर रहे है वह ना तो कोई पशु ना ही पक्षी, ना ही प्रकृति ना ही ईश्वर है, इसके लिए यदि कोई जि मेदार है तो वह है मनुष्य जो कि बड़ा पाप कर रहे है।
यदि मनुष्य इस पाप से मुक्त होना चाहता है तो यज्ञ ही माध्यम वह माध्यम है जिससे पर्यावरण संरक्षण और जीवन कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया जा सके। यदि हरेक मनुष्य प्रतिदिन यज्ञ करें तो इस पाप से मुक्त होने के साथ-साथ पर्यावरण को भी शुद्ध कर सकता है।
वेदकथा के द्वितीय दिवस के अवसर पर पिछोर एसडीएम मुकेश शर्मा व एसडीओपी शिवपुरी जी.डी.शर्मा सपत्निक वेदकथा में पहुंचेऔर आयोजित यज्ञ में भाग लिया।
दीदी अंजली आर्या ने अपने आर्शीवचनो में छोटी-छोटी कथा-कहानियों के माध्यम से मानव जीवन के बारे में प्रकाश डाला। एक छोटे से वक्तव्य के द्वारा उन्होंने बताया कि मनुष्य उस पानी से भरे हुए घड़े के समान है।
जिसमें पानी के समान विचार-संस्कार भरे पड़े है और इस घड़े में आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, परसों नहीं नरसो इसमें छेद होना है, इसी तरह हमारे जीवन में भी मृत्युरूपी छेद होना है जब तक यह जीवन है तब तक हम इस जीवनरूपी घड़े में अच्छे विचारों, संस्कारों का संग्रहण करते है या बुरे विचारों व संस्कारों को ग्रहण करते है यह मनुष्य के ऊपर निर्भर करता है। इसलिए प्रतिदिन यज्ञ करें और अन्य लोगों को भी प्रेरित करें।