शहर के प्रसिंद्व साईकिल व्यापारी को चैक की धोखाधडी के मामले में 3 वर्ष की सजा

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शिवपुरी। शहर के हनुमान चौराहे रोड़ पर साईकिल की दुकान चलाने वाले आरोपी गणेशराम गुप्ता ने शहर के एड.गजेन्द्र सिंह यादव द्वारा लिए गए 16 लाख रूपये की राशि के साथ धोखाधड़ी की और उस चैक के माध्यम से उसमें हेराफेरी कर वह राशि डकार गए। 

लेकिन जब अभिभाषक गजेन्द्र ने इस संबंध में माननीय न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया, जिस पर विशेष सत्र न्यायाधीश श्रीराम दिनकर ने मामले की विवेचना उपरांत आरोपी गणेणराम गुप्ता को 3 वर्ष की सजा व 5 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित कर अभिभाषक को न्याय प्रदाय किया है। 

अभियोजन कहानी के अनुसार आरोपी गणेशराम गुप्ता निवासी उत्सव वाटिका शिवपुरी ने अभिभाषक गजेन्द्र सिंह यादव से व्यापारिक एवं घरेलू कार्य हेतु 16 लाख रूपये उधार लिए थे। इसके बदले में आरोपी गणेशराम ने उधार लिए गए ऋण के बदले में परिवादी को एक चैक क्रं.756532 दिनांक 22.12.2007 शाखा इलाहाबाद बैंक शिवपुरी का दिया था। 

परिवादी द्वारा जब अपनी राशि प्राप्त करने हेतु उक्त चैक अपने बैंक खाते मध्यभारत ग्रामीण बैंक शाखा फिजीकल रोड शिवपुरी में दिनांक 22.01.2011 को कलेक्शन हेतु जमा किया तो उक्त चैक में 22.12.2010 के स्थान पर 22.12.20100 इस प्रकार एक 0 बढ़ाकर उस चैक को बेकार कर दिया और इलाहाबाद बैंक द्वारा अपने मेमो में यह लिखकर वापिस कर दिया कि चैक पोस्ट डेटेड आउट ऑफ डेट की टीप लगाकर वापिस कर दिया।

परिवादी गजेन्द्र सिंह यादव ने कूटरचना के संबंध में थाना फिजीकल चौकी को 05.02.2011 एवं पुलिस अधीक्षक शिवपुरी को उक्त कूटरचना के संबंध में शिकायत 08.02.2011 को दी। इसके बाद परिवादी गजेन्द्र ने आरोपी गणेशराम व उसके पिता सूरजप्रकाश गुप्ता व इलाहाबाद बैंक के तत्कालीन मैनेजर आर.सी.केन के विरूद्ध परिवाद पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। 

साक्ष्य के विश्लेषण उपरांत माननीय विशेष अपर सत्र न्यायाधीश महोदय श्रीराम दिनकर ने आरोपी गणेशराम गुप्ता पुत्र सूरज प्रकाश गुप्ता निवासी उत्सव वाटिका शिवपुरी को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 में दोषी पाते हुए 03 वर्ष का सश्रम कारावास व 05 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है। अर्थदण्ड की राशि जमा ना करने पर आरोपी को एक वर्ष का सश्रम कारावास अतिरिक्त भुगतना पड़ेगा। 

अभिभाषक को मिला 5 वर्ष बाद न्याय
इसे समय की पराकाष्ठा ही कहेेंगे कि अभिभाषक गजेन्द्र सिंह यादव को अपने द्वारा दी गई 16 लाख रूपये की राशि बतौर उधार ऋण के रूप में आरोपी गणेशराम गुप्ता को दी थी। जिसमें दिए गए चैक की राशि में आरोपी व बैंक प्रबंधन द्वारा हेराफेरी की गई तब एड. गजेन्द्र ने न्यायालय की शरण ली। बाबजूद इसके अभिभाषक को ही न्याय पाने के लिए 5 वर्ष लग गए। वर्ष 2011 से शुरू हुआ यह मामला अब वर्ष 2016 में आकर पूर्ण हो सका।
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